
नई दिल्ली . खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी महीने में तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसके साथ ही महंगाई दर एक बार फिर रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्चतम सीमा से ऊपर चली गई है. सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.72 प्रतिशत और जनवरी 2022 में 6.01 प्रतिशत थी. इससे रिजर्व बैंक की ओर दरों में कटौती की उम्मीद भी कम हो गई है.
नवंबर और दिसंबर 2022 को छोड़ दिया जाए तो खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2022 से ही आरबीआई के छह प्रतिशत की ऊपरी सीमा से ऊंची रही है. केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
सस्ते कर्ज का इंतजार बढ़ा
1. सस्ते कर्ज के लिए आरबीआई की अप्रैल में होने वाली मौद्रिक समीक्षा तक इंतजार करना होगा
2. विशेषज्ञ अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रेपो दरों में कमी का अनुमान जता रहे हैं
क्या है खुदरा मुद्रास्फीति और कहां होता है इसका असर
खुदरा महंगाई को खुदरा दुकानदारों और उपभोक्ताओं के स्तर पर मापा जाता है. इसमें खाद्य पदार्थों का भारांश सबसे अधिक होता है. इसलिए जब इसमें इजाफा होता है तो खाद्य महंगाई में भी उछाल देखा जाता है. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है.
गांवों में ज्यादा रही महंगाई
गांवों में महंगाई शहरों के मुकाबले ऊंची रही. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में यह 6.85 प्रतिशत रही, वहीं शहरी केंद्रों में यह छह प्रतिशत थी. विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंची महंगाई से ग्रामीण क्षेत्र में खरीद क्षमता प्रभावित हो सकती है. दिसंबर तिमाही में ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी की बिक्री घटी थी.
खाद्य पदार्थों के दाम चढ़े
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की कीमतें जनवरी में घटी हैं. हालांकि ईंधन और प्रकाश समेत अन्य श्रेणियों में महंगाई बढ़ी है. खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जनवरी में 5.94 प्रतिशत रही. यह दिसंबर में 4.19 प्रतिशत और पिछले साल इसी तहीने में 5.43 प्रतिशत थी.