आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में विशेष अदालत ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकर कर दिया. जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा है कि मामले में मौजूद साक्ष्य प्रथम दृष्टिया धनशोधन के कथित अपराध में उनकी संलिप्तता को जाहिर करते हैं.
राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने में कहा है कि सिसोदिया पर लगे आरोपों की प्रकृति गंभीर है. आरोपों की प्रकृति गंभीर होने के साथ-साथ मामले में आपराधिक साजिश में सिसोदिया की कथित भूमिका, अपराध की आय के सृजन और उपयोग आदि से संबंधित गतिविधियों के संबंध में उनकी भूमिका को देखते हुए राहत नहीं दी जा सकती है. अदालत ने कहा है कि मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पेश दस्तावेजी साक्ष्यों और गवाहों के बयान भी अभियोजन पक्ष के समर्थन में हैं.
कोर्ट ने सीबीआई से पूछा ये सवाल
वकील ने कहा, “प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि सीबीआई कह रही है कि मेरे संबंध में और जांच की आवश्यकता है/लंबित है. इसलिए, हम वैधानिक जमानत के लिए आवेदन दायर करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं.” अदालत ने तब सीबीआई से सवाल किया कि उसने यह क्यों नहीं कहा कि सिसोदिया से जुड़ी जांच पूरी हो चुकी है. अदालत ने पूछा, आप कहते हैं कि आपने (निर्धारित समय में) पूरक आरोपपत्र दायर किया है, लेकिन आपने कहा है कि मामले में जांच लंबित है. आपने यह क्यों नहीं बताया कि सिसोदिया के खिलाफ जांच पूरी होने पर आरोप पत्र दायर किया जाता है.