
देश में बादलों की चाल में बदलाव का दौर देखने को मिल रहा है. स्थिति ये है कि अब सूखे इलाकों में ज्यादा बारिश होने लगी है और जिन क्षेत्रों में पहले खूब बारिश होती थी वहां अब यह कम हो रही है.
बारिश के चक्र में बदलाव देखे गए हैं. सौराष्ट्र, कच्छ और राजस्थान के शुष्क इलाकों में बारिश ज्यादा होने लगी है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में कमी आई है. बिहार और करीबी क्षेत्रों में भी बारिश घट रही है. महापात्र ने कहा, भारी बारिश की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है. इसके अलावा उष्ण लहर के क्षेत्र, आवृत्ति और दिनों में बढ़ोतरी दिख रही है. मौसम विभाग भीषण बारिश की घटनाओं के पूर्वानुमान के लिए डॉप्लर रडार की संख्या बढ़ा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि समूचा उत्तर और पूर्वी भारत उष्ण लहर के हिसाब से बेहद संवेदनशील हो गया है. हम इसे लू का कोर क्षेत्र मानते हैं.
इस बार देश में ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई, इस बारे में भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने बताया कि, ” बंगाल की खाड़ी में जो लो प्रेशर एरिया बन रहे हैं वह लगातार पश्चिम दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उड़ीसा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना को प्रभावित करते हुए यह दक्षिण में मध्य प्रदेश गुजरात और दक्षिणी राजस्थान की तरफ चले जा रहे हैं जिसकी वजह से उन राज्यों में मूसलाधार बारिश हो रही है. जब लो प्रेशर एरिया लगातार बनते हैं तब एक्सेस ऑफ मॉनसून ट्रफ उत्तर भारत में नहीं पहुंच पा रहा है. यही वजह है कि दिल्ली , हरियाणा, पंजाब में कुछ वक्त के लिए बारिश होती है और फिर धूप और गर्मी रहती है.
अप्रैल में सबसे अधिक बारिश
दिल्ली में पांच साल बाद अप्रैल में इतना ज्यादा पानी बरसा है. अप्रैल में इस साल सामान्य से 23 अधिक बारिश दर्ज की गई है. 2017 के अप्रैल में इससे ज्यादा बारिश हुई थी. गत वर्ष अप्रैल में नौ दिन ऐसे थे, जब लू चली थी. इस बार एक भी दिन लू नहीं चली. वहीं रविवार को तापमान में सामान्य से दस डिग्री तक की कमी दर्ज हुई.
जुलाई में अल नीनो के आसार
मानसून सीजन में अल नीनो जुलाई में विकसित हो सकता है. हम स्थिति को मॉनीटर कर रहे हैं. मई में फिर से स्थिति की समीक्षा कर नया पूर्वानुमान जारी करेंगे. बता दें कि प्रशांत महासागर में विषुवत रेखा के निकट समुद्र के तापमान में जब आधे डिग्री या इससे ज्यादा की बढ़ोतरी होती है तो अल नीनो उत्पन्न होते हैं.