सूर्य फिर हुआ अशांत! समय से पहले ही आएंगे सौर तूफान, पृथ्वी के लिए ये खतरा

Solar Maximum: एक बड़ा सौर तूफान अनुमान से पहले ही पृथ्वी से टकरा सकता है. इसके परिणाम पृथ्वी के लिए विनाशकारी हो सकते हैं. जब सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पलटता है तो इसमें गतिविधि बढ़ जाती है. गतिविधि के बढ़ने से प्लाज्मा अंतरिक्ष में निकलता रहता है. जब यह गतिविधि चरम पर होती है तो यह समय सोलर मैक्सिमम कहलाता है और यह तेजी से पास आ रहा है. सौर तूफान बिजली के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके साथ ही अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट और यान को भी नुकसान पहुंचा सकता है.
दरअसल सूर्य में बहुत बड़े सनस्पॉट का पता चला है. यह सनस्पॉट पृथ्वी से 7 गुना चौड़ा है और बिना टेलिस्कोप के देखा जा सकता है. ग्रहण देखने वाले चश्मे की मदद से आप सूर्य पर उभरे सनस्पॉट को देख सकते हैं. स्पेसवेदर डॉट कॉम ने इसके बारे में जानकारी दी है. सनस्पॉट का नाम (AR3354) रखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण कोरियाई खगोलशास्त्री बम-सुक येओम (Bum-Suk Yeom) ने इस सनस्पॉट को सबसे पहले देखा. इस वजह से पृथ्वी पर सौर तूफानों का खतरा फिर बढ़ गया है.
रिपोर्ट में हैरानी जाहिर की गई है कि दो दिन पहले तक सनस्पॉट का कोई अस्तित्व नहीं था। इसने बहुत तेजी से अपना आकार बढ़ाया है. अनुमान है कि सनस्पॉट की वजह से बहुत जल्द कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फ्लेयर की घटनाएं हो सकती हैं.
मंगलवार को एक ट्वीट में नासा सन एंड स्पेस ने बताया है कि बीते 24 घंटों में सूर्य से 4 कोरोनल मास इजेक्शन और 1 सोलर फ्लेयर निकला है. कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं. सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं. कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं.
क्या होता है असर
जेम्स का मानना है कि तूफान अपेक्षा से ज्यादा जल्दी चरम पर होगा. यानी कि इसकी तैयारी के लिए कम समय बचा है. वैज्ञानिकों को अभी भी इस बात की सटीक जानकारी नहीं है कि यह सौर तूफान कितने समय तक चलेगा. हालांकि पिछले सौर तूफान को देखते हुए माना जा रहा है कि यह एक से दो साल के बीच हो सकता है. इस सौर तूफान का असर रेडियो सिग्नल पर हो सकता है. कुछ देर के लिए यह काम करना बंद कर सकते हैं. इसके साथ ही इसके कारण जीपीएस को भी नुकसान हो सकता है.