कुछ लोगों को ज्यादा लोगों का साथ पसंद होता है, जबकि कुछ अकेले रहने को ज्यादा तरजीह देते हैं. व्यवहार में अकेलेपन से होने वाले नुकसान को लेकर कई शोध हुए हैं, लेकिन एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अकेले रहना पसंद करने वाले और ज्यादा लोगों के साथ रहने वाले लोगों के दिमाग अलग-अलग तरह से काम करते हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया है. इनके मुताबिक, जो व्यक्ति अकेले रहता है, उसके दिमाग का काम करने का तरीका अलग होता है. इसके लिए करीब 166 युवाओं के न्यूरोइमेजिंग परीक्षण किए गए. शोधकर्ताओं के नतीजे बताते हैं कि अकेले रहने वाले लोग दुनिया को अपने दिमाग में इस तरह से रखते हैं, जो उनके साथियों व उनके जैसे दूसरों से भी अलग होता है.
कैसे किया अध्ययन
प्रतिभागियों ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की लोनलीनेस स्केल को पूरा किया. फिर उन्हें नतीजों के आधार पर अकेले व जो अकेलापन महसूस नहीं करने वाले के समूहों में बांटा गया.
इच्छा व हकीकत में अंतर
मनोवैज्ञानिक एलिसा बेयक का कहना कि चौंकाने वाली बात है कि अकेले रहने वाले लोग भी एक-दूसरे से काफी अलग पाए गए. सभी इंसानों की इच्छाओं और वास्तविक संबंधों में अंतर होता है.