नोएडा. सावन माह में पूरे उत्तराखंड में आप निश्चिंत होकर गंगाजल से आचमन कीजिए. गंगोत्री से लेकर रूड़की तक गंगाजल पीने योग्य है. यहां पर गंगाजल में एमपीएन 50 तक ही है.
वहीं, गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में तो यह मात्र 1.8 ही रिकॉर्ड किया गया. हालांकि, उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगाजल पीने योग्य नहीं है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने यह जानकारी एक आरटीआई के जवाब में दी है. एमपीएन अगर 50 से अधिक होगा तो गंगाजल पीने योग्य नहीं माना जाता. नोएडा के सेक्टर 76 में रहने वाले अमित गुप्ता ने आरटीआई लगाकर गंगाजल को लेकर जानकारी मांगी थी. मंत्रालय के जवाब के अनुसार, पूरे देश में पटना के गांधीघाट का गंगाजल सबसे अधिक प्रदूषित है. वहां एमपीएन का स्तर सबसे अधिक 1 लाख 37 हजार 650 है. वहीं, उत्तर प्रदेश की सीमा में आते ही गंगाजल में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है. यूपी में सबसे अधिक प्रदूषित गंगाजल गाजीपुर का है, जहां एमपीएन 12682 मिला.