
आमतौर पर नौकरी के कई सालों बाद तक भी हमारे रिज्यूमे का अंदाज नहीं बदलता. विशेषज्ञों की राय में वक्त के साथ रिज्यूमे के कई संस्करण तैयार रखना काम आता है.
एक पेशेवर के लिए यह अनिवार्य माना जाता है कि वह अपने रिज्यूमे के कई एक संस्करण बना कर रखे. लेकिन, इस संदर्भ में सबसे पहले यह समझना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि रिज्यूमे के कई संस्करण रखना किन लोगों के लिए काम का साबित हो सकता है. जैसे
●जॉब करते हुए आपको कुछ समय हो चुका है और आपकी पढ़ाई के दौरान के भी विविध कार्यअनुभव आपके पास हैं.
●आपने व्यक्तिगत स्तर पर भी काम किया है और आपके पास मैनेजिंग के पदों, दोनों तरह से संबंधित अनुभव हैं.
●आपका काम कुछ इस तरह का रहा है, जिसमें आपने दो अलग-अलग पदों का कार्यभार संभाला है. उदाहरण के लिए आप क्वालिटी कंट्रोल में भी थे और सेल-परचेस की टीम का हिस्सा भी या आप एचआर मैनेजर भी थे, और मार्केटिंग कैंपेन की हिस्सा भी रहे हैं.
●आपने अपने काम के दौरान बहुत से ट्रांसफरेबल स्किल्स हासिल किए हैं. जैसे फ्रंट डेस्क ऑपरेटर के साथ ही कस्टमर केयर में भी स्किल बनाया.
●आप एक नए करियर की तैयारी में हैं. साथ ही अपने वर्तमान क्षेत्र से संबंधित संभावनाएं भी देखना चाहते हैं.
कैसे बनाएं अलग-अलग जॉब के लिए रिज्यूमे
●एक मास्टर रिज्यूमे बनाएं और फिर जिन पदों या कामों के लिए खुद को तैयार अनुभव करते हैं,उनसे संबंधित स्किल्स और अनुभवों दर्शाते हुए कई वर्जन तैयार करें.
●अगर किसी ताजा आई पोस्ट के लिए तैयारी है, तो रिज्यूमे में अपने स्किल्स और अनुभव बताने में उन शब्दों का उपयोग करें, जिन्हें जॉब पोस्टिंग में भी इस्तेमाल किया गया है. इस तरह ऑनलाइन आवेदन करने में एप्लीकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (एटीएस) द्वारा चयन किए जाने की संभावना ज्यादा बनती है.