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जलवायु परिवर्तन से गल्फ स्ट्रीम पर खत्म होने का खतरा बढ़ा

कोपनहेगन . जलवायु परिवर्तन से महासागरों की धारा पर बुरा असर संभव है. मौसम वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में दावा किया है कि वर्ष 2025 से 2095 के बीच अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम पूरी तरह खत्म हो सकती है.

संभावना जताई है कि वर्ष 2025 या इससे पहले तक ऐसी हलचल दुनिया देख सकती है. जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में यह शोध प्रकाशित है. वैज्ञानिकों ने 1870 से 2020 तक अटलांटिक महासागर के तापमान का अध्ययन बाद ये दावा किया है.

क्या होता है गल्फ स्ट्रीम खाड़ी की धारा को अटलांटिक मेरिडियोनियल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (एएमओसी) कहते हैं. ये उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म पानी ले जाती है और उत्तरी अटलांटिक से ठंडा पानी लाती है. यह अटलांटिक महासागर, उत्तर पूर्वी अमेरिका, दक्षिणपूर्वी अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप के तापमान को संतुलित रखती है.

हिम युग में ऐसा हुआ था

शोध के अनुसार 1,15000 से 12 हजार साल पहले के हिमयुग चक्रों में एमओसी प्रभावित हुई थी और दोबारा शुरू हुई थी. एएमओसी पूरी तरह बंद हो जाती है तो भारत, दक्षिण अमेरिका समेत दुनिया के हर कोने में खाद्यान व्यवस्था प्रभावित होगी.

यह पड़ेगा प्रभाव

● बारिश का चक्र दुनियाभर में प्रभावित हो सकता है

● आंधी- तूफान, चक्रवात की घटनाएं बढ़ सकती है

● समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी से खतरा और बढ़ेगा

भारत पर भी बुरा असर

● मानसून चक्र बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका

● आंधी,तूफान और सूखे के बाद अचानक भारी बारिश संभव

● महासागरों के भीतर प्राकृतिक संपदा को क्षति

1600 साल में पहली बार 2021 में कमजोर दिखी थी खाड़ी की धारा

2025 सेे 2095 के बीच गल्फ स्ट्रीम पूरी तरह हो सकती है खत्म

वर्तमान में दुनिया में पांच महासागर और सात महाद्वीप हैं, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ वर्षों में एक नया महासागर और महाद्वीप बन सकता है.

बताया जा रहा है कि महाद्वीप अफ्रीका दो हिस्सों में बंटने वाला है. क्योंकि अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में पृथ्वी की सतह के नीचे की टेक्टोनिक प्लेटें हर साल एकदूसरे से दूर होती जा रही हैं. ये अफ्रीकी दरार करीब 3500 किलोमीटर लंबी है.

वैज्ञानिक काफी साल पहले अफ्रीका महाद्वीप के एक बड़े हिस्से के टूटने की भविष्यवाणी कर चुके हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि 2005 में इथियोपिया में मिले पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (ईएआरएस) का प्रसार तेजी हो रहा है. यहां अफ्रीकी और सोमालियाई प्लेट दूर होती दिख रही हैं. वहीं दोनों प्लेटें अरब प्लेट से दूर जाती दिख रही हैं. जैसे ही ये प्लेटें अलग होंगी, वे अफ्रीका के कुछ हिस्सों को महाद्वीप से दूर ले जा सकती हैं.

धारा में मौसम का राज

गर्म पानी की धारा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से होते हुए ठंडे क्षेत्रों में जाती है. एएमओसी जो गर्म पानी अपने साथ ले जाती है वो पश्चिमी यूरोप और उत्तरपूर्वी अमेरिका के तापमान में गर्मी बढ़ाती है. यही धारा जब उत्तर की ओर आती है तो गर्म पानी की भाप महासागर में समाती है. धारा ठंडा पानी लेकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आती है तो नमी और बारिश का रूप लेती है. यह धारा प्रभावित होती है तो इसके असर से यूरोप में अत्यधिक ठंड के हालात बन जाएगे.

कार्बन के कारण बन रहे हालात

प्रमुख शोधकर्ता और कोपनहेगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर डिटलेवसेन का कहना है कि नतीजे चिंताजनक हैं. जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं. महासागर की गहराई में होने वाली इस हलचल के प्रभावित होने से पूरी दुनिया पर इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है.

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