
जर्मनी की लिपजिग यूनिवर्सिटी में हुए ताजा शोध के मुताबिक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में इस वर्ष का जुलाई महीना सबसे गर्म होगा. इससे पहले, साल 2019 का जुलाई माह सबसे गर्म माना गया था. लेकिन इस साल जुलाई का औसत तापमान 2019 के मुकाबले 0.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है.
वैज्ञानिकों की मानें तो इसके लिए मानव गतिविधियां जिम्मेदार हैं. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि आने वाले समय में स्थितियां और गंभीर हो सकती हैं. जुलाई में वैश्विक स्तर पर हुई चरम मौसमी घटनाओं और उनके बुरे नतीजों की सूची यहां देखी जा सकती है. इस महीने तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने का यह मतलब नहीं है कि दुनिया की सरकारें पेरिस समझौते में तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य हासिल करने में नाकाम हो चुकी हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर औसत तापमान वृद्धि को दीर्घकालिक समय मापदंड पर नापा जाता है.
अन्य जलवायु वैज्ञानिकों ने इस बात के लिए आगाह किया था कि जुलाई सबसे गर्म महीना होने वाला है, लेकिन डॉक्टर हौशटाइन के विश्लेषण में इसकी पुष्टि सबसे पहले की गई थी. इस महीने के औसत तापमान का पूर्वानुमान पेश किया गया था.
उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी के दौरान ऐसा पहली बार हुआ
ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी एक महीने में तापमान में पूर्व-औद्योगिक औसत के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा इजाफा हुआ हो. वर्ष 2016 और 2020 में भी ऐसा हो चुका है. यह अलग बात है कि उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी के दौरान ऐसा पहली बार हुआ है. मगर, खास बात ये है कि इस महीने तापमान में हुई वृद्धि सहमत अधिकतम दीर्घकालिक स्तर पर है.