
अचानक लिवर खराब होना यानी एक्यूट लिवर फेलियर के करीब 30 फीसदी मामले हेपेटाइटिस-ए और हेपेटाइटिस-ई के कारण होते हैं. एम्स दिल्ली के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है.
चौंकाने वाली बात है कि ऐसे मामलों में मृत्युदर 50 प्रतिशत तक देखी गई है. यह बीमारियां दूषित खानपान के कारण होती हैं. स्वच्छ खानपान को अपनाकर हेपेटाइटिस-ए और ई से बचाव हो सकता है. हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस-सी खून में संक्रमण के कारण होता है.
गिलोय ने गंभीर किया डॉक्टरों का दावा है कि कोरोना के दौर में गिलोय के अधिक इस्तेमाल के कारण भी लिवर खराब होने के काफी केस सामने आए. इनमें कई मरीजों की हालत गंभीर हो गई.
टीबी की दवा का गलत इस्तेमाल भी कारण शोध में यह भी पाया गया कि टीबी की दवा के गलत इस्तेमाल और दुष्प्रभाव के कारण भी लिवर खराब होता है. करीब 60 प्रतिशत मरीज टीबी की पुष्टि होने से पहले ही उसकी दवा का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं. ऐसे मरीजों में मृत्युदर 67 प्रतिशत तक होती है.
कम उम्र में हो रही समस्या खानपान में बदलाव और खराब जीवनशैली कम उम्र में ही लोगों को फैटी लिवर का मरीज बना रही है. एम्स के अध्ययन में पाया गया है कि देश में 35.4 फीसदी बच्चों और 38.6 फीसदी वयस्कों के लिवर में ज्यादा फैट है, जो आगे चलकर समस्या बन सकता है. एम्स ने ऐसे लोगों पर अध्ययन कर यह जानकारी हासिल की है, जो शराब नहीं पीते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, शराब पीने वालों में यह समस्या कहीं अधिक है.