
अंतरिक्ष में समय-समय पर कई बार आकर्षक खगोलीय दृश्य देखने को मिलते हैं. कभी ग्रह चमकदार हो जाते हैं, कभी सुपरमून की घटना तो कभी टूटते तारे भी दिखाई देते हैं. इसी कड़ी में इस महीने सौ से भी अधिक उल्कापिंडों की बारिश जैसा नजारा देखने के मिलेगी. हालांकि यह घटना 17 जुलाई से शुरू हो चुकी है और 24 अगस्त तक यह सिलसिला चलेगा.
रोशनी से दूर अंधेरे में देखना दिलचस्प
दि रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के प्रवक्ता ने कहा कि इस साल उल्कापिंडों की बारिश का बेहतरीन सौंदर्य दिखाई देगा. जब थोड़ा अंधेरा हो जाएगा, तब चंद्रमा एक पतले अर्द्धचंद्राकार रूप में दिखाई देगा. इसलिए उल्कापात की घटना में चांद की रोशनी बाधक नहीं बनेगी और कस्बों तथा शहरों की रोशनी से दूर अंधेरे स्थान में रहकर इस आकाशीय नजारे को देखना दिलचस्प अनुभव होगा.
थोड़ा अंधेरे में बेहतर दिखता है नजारा
उल्कापात की घटना को उत्तरी गोलार्द्ध में ज्यादा स्पष्टता से देखा जा सकता है क्योंकि वहां पर बादल नहीं होते और ज्यादा रोशनी भी नहीं होती. खगोल वैज्ञानिकों का यह भी अनुमान है कि इस बार आग के गोले भी दिखाई पड़ने की संभावना अधिक है, जो काफी चमकीले उल्का होते हैं और इनकी लंबाई रेलगाड़ी जितनी हो सकती है. दि रॉयल एस्ट्रोनोमी सोसाइटी ने कहा है कि उल्का पिंडों की बारिश को देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं होती है.
धूमकेतु के टकराने से होती है घटना
दि रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की ओर से बताया गया कि उत्तर अमेरिका के पश्चिमी तट और पूर्वी प्रशांत महासागर के आसपास ऐसी घटनाएं दिखाई देंगी. उल्कापिंडों की बारिश को देखना इसकी गति और चमकीलेपन की वजह से दर्शकों के लिए मुख्य आकर्षण हो सकती है, जो हर साल जुलाई और अगस्त महीने में धूमकेतु 109 पी/स्विफ्ट टटल द्वारा छोड़े गए मलबे से पृथ्वी के टकराने से होती है. इस साल एक घंटे में उल्कापात की करीब सौ घटनाएं देखने को मिलेंगी.