होम लोन समेत अन्य सभी कर्ज की बढ़ती ब्याज दरों से ग्राहकों को जल्द ही बड़ी राहत मिल सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऐसी व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है, जिसकी मदद से फ्लोटिंग ब्याज दर से फिक्स्ड ब्याज दर में आसानी से परिवर्तन किया जा सकेगा. इसके लिए नए नियम जल्द लागू किए जाएंगे. इस कदम से मकान, वाहन और पर्सनल लोन लेने वाले लोगों को सबसे अधिक फायदा होगा.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसके लिए नया ढांचा तैयार किया जा रहा है. इसके तहत बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ऋण की अवधि और मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्राहकों की सहमति और बिना जानकारी के फ्लोटिंग रेट लोन की अवधि को अनुचित रूप से बढ़ाने के कई उदाहरण सामने आए हैं. इस कदम से बैंकों के इस तरह के अनुचित व्यवहार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
रेपो दर को स्थिर रखने के फैसले पर विशेषज्ञों का कहना है कि य्इससे आवास और उपभोक्ता ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) स्थिर रहेगी. उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि यह फैसला उम्मीद के मुताबिक है.
आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर रहेगी
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) के अपने अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश में आर्थिक गतिविधियां सकारात्मक बनी हुई है. पीएमआई आंकड़ा बेहतर है. इन सब चीजों को देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहली तिमाही में 8, दूसरी तिमाही में 6.5, तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत का अनुमान है.
खाद्य महंगाई में तेज उछाल का अनुमान
महंगाई के बारे में दास ने कहा कि टमाटर और अन्य सब्जियां महंगी होने से निकट भविष्य में मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव रहेगा. दास ने कहा कि 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है. दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. दास ने कहा है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए हमें जरूरत होने पर अर्जुन की नजर से भी आगे के लिए तैयार रहना होगा.
बैंक स्पष्ट जानकारी देंगे
शक्तिकांत दास ने कहा कि नए ढांचे का सभी विनियमित संस्थाओं को पालन करना होगा. इसके तहत कर्ज की अवधि या मासिक किस्त में किसी तरह के बदलाव करने पर ग्राहकों से स्पष्ट रूप से संवाद करना होगा. ग्राहकों को निश्चित (फिक्स्ड) दर का विकल्प चुनने की अनुमति दी जाएगी. आरबीआई के इस कदम से कर्ज की ब्याज दर को फिर से तय करने में अधिक पारदर्शिता आएगी.