दुनियाभर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. एक नए अध्ययन में दावा किया गया कि पीएम प्रदूषण (कण) से हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जिससे समय से पहले होने वाली मौतों और विकलांगता में 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है.
यह अध्ययन ईरान में तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने किया है. उन्होंने इसे द ग्लोबल बर्डन डिजिज (जीबीडी) नाम दिया है. शोधकर्ताओं ने 1990 से 2019 के बीच आंकड़ों का इस्तेमाल किया. उनके मुताबिक, 204 देशों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) प्रदूषण का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि इन कणों से 1990 में कुल 26 लाख लोग विकलांग थे, जो 2019 में बढ़कर 35 लाख हो गया.
बता दें, पीएम प्रदूषण में हवा में ठोस पदार्थों के छोटे कण होते हैं. यह वाहन उत्सर्जन, धुआं, धूल से फेफड़ों में जाते हैं. इन्हें पीएम 2.5 और पीएम 10 के रूप में वगीकृत किया गया है.
उपग्रह और कंप्यूटर मॉडल से की निगरानी शोधकर्ताओं ने 2019 के अपडेट से जीबीडी अध्ययन तक एक उपकरण का उपयोग करके पीएम प्रदूषण के जोखिम का अनुमान लगाया गया था. इसमें उपग्रह और जमीनी स्तर की निगरानी, वायुमंडल में रसायनों के कंप्यूटर मॉडल और भूमि-उपयोग डाटा से जानकारी शामिल थी. शोधकर्ताओं ने विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों (डीएएलवाई) में परिवर्तनों का विश्लेषण किया. डीएएलवाई एक माप है, जो किसी आबादी पर स्वास्थ्य स्थिति के पूर्ण प्रभाव का आकलन करने के लिए जीवन की हानि और जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव दोनों पर विचार करता है.
पुरुषों की अधिक मृत्यु अध्ययन में पाया गया कि सभी उपायों में एम वायु प्रदूषण से विकलांगता और मृत्यु में वृद्धि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक थी, जबकि घरेलू पीएम वायु प्रदूषण से विकलांगता और मृत्यु में गिरावट पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कम थी.
संपन्न देशों में दिव्यांग ज्यादा
अध्ययन में पाया गया कि उच्च आर्थिक देशों में इस प्रदूषण से हृदय संबंधी बीमारियों के कारण विकलांगता के साथ जीने वाले लोगों की संख्या अधिक है. वहीं निम्न आर्थिक देशों में अधिक जानें गईं और विकलांगता से कम साल गुजारे गए.
पीएम वायु प्रदूषण से महिलाएं कम प्रभावित
पीएम वायु प्रदूषण के कारण कुल मौतों में वृद्धि असमान रूप से देखी गई. इन कणों के कारण पुरुषों में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली, जबकि महिलाओं में विकलांगता का स्तर 28.2 प्रतिशत तक दर्ज किया गया. हालांकि, शोध में यह भी देखा गया कि समय से पहले होने वाली मौतों में 36.7 प्रतिशत की कमी आई है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि पीएम प्रदूषण के कारण आयु मानक वाले सीवीडी मृत्यु और विकलांगता में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई.