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बीते आठ साल में जनधन खाते तीन गुना हो गए

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि जनधन योजना के जरिए आए बदलाव और डिजिटल परिवर्तन ने देश में वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए 50 करोड़ से अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में जोड़ा गया, जिनकी संचयी जमा राशि दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

प्रधानमंत्री जनधन योजना यानि पीएमजेडीवाई की नौवीं वर्षगांठ पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 55.5 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं और 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण या फिर अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं. यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है. योजना के तहत बैंक खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से 3.4 गुना बढ़कर 16 अगस्त 2023 तक 50.09 करोड़ हो गई.

इन खातों में जमा कुल राशि भी मार्च 2015 तक 15,670 करोड़ रुपये से बढ़कर अगस्त 2023 तक 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. जमा राशि में शुरुआत से अब तक करीब 13 गुना बढ़त देखी गई है.

न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं वित्तीय समावेशन पर राष्ट्रीय मिशन यानी प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को की गई थी. यह देश के वित्तीय परिदृश्य को बदलने में सफल रहा है.

पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कई लाभ प्रदान करता है. इसमें खाते में न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं है. इसमें मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड, दो लाख का दुर्घटना बीमा और 10,000 तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा शामिल हैं.

जनधन योजना के नौ साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में मैं इस योजना से लाभान्वित होने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूं और इसे सफल बनाने के लिए काम करने वाले सभी लोगों की सराहना करता हूं. यह प्रयास हमारे नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है.

– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

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