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कम उम्र से धूम्रपान करने वालों के बच्चों में सांस संबंधी रोगों का खतरा ज्यादा

लंदन . एक नए शोध में दावा किया गया कि कम उम्र से ही धूम्रपान करने वालों के बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, धूम्रपान के कारण उनके होने वाले बच्चों के जीन में गड़बड़ी की संभावना रहती है.

इससे उनमें मोटापा और फेफड़ों की कार्यक्षमता विकसित नहीं होती है. यह अध्ययन ब्रिटेन के साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है. क्लिनिकल एपिजेनेटिक्स जर्नल में प्रकाशित शोध पहला मानव अध्ययन है, जो पिता के किशोरावस्था में धूम्रपान से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के तंत्र के बारे में बताता है.

875 लोगों के प्रोफाइल पर नजर साउथैम्पटन विश्वविद्यालय और नॉर्वे के बर्गेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 7 से 50 वर्ष की आयु के 875 लोगों के पिता के धूम्रपान व्यवहार की जांच की. उन्होंने 15 वर्ष की आयु से पहले धूम्रपान करने वाले पिताओं के बच्चों में 14 जीनों में मैप किए गए 19 स्थानों पर जेनेटिक परिवर्तन पाए.

भारत में एक नजर

भारत में 8.1 फीसदी युवा धूम्रपान करते हैं. इसमें पुरुष 14 फीसदी तथा महिलाओं की संख्या 1.4 फीसदी है. वैश्विक स्तर पर धूम्रपान की व्यापकता दर में वर्ष 2000 से लगातार गिरावट आई है. 2000 में, 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के अनुमानित 27 लोग वर्तमान में तंबाकू धूम्रपान करने वाले थे.

भावी पीढ़ियों का स्वास्थ्य आज पर निर्भर

बर्गन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सेसिली स्वेन्स ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि भावी पीढ़ियों का स्वास्थ्य आज के युवाओं द्वारा किए गए कार्यों और निर्णयों पर करता है. यूनिवर्सिटी में रिसर्च फेलो डॉ. नेगुसे किताबा ने कहा कि जिन बच्चों के पिता ने युवावस्था के दौरान धूम्रपान शुरू किया था, उन बच्चों में एपिजेनेटिक मार्करों में परिवर्तन अधिक स्पष्ट पाए गए.

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