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ऑनलाइन ग्राहकों को भ्रमित नहीं कर सकेंगे

ऑनलाइन ग्राहकों को गुमराह करने पर केंद्र सरकार शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है.

सरकार आनलाइन मंच पर ग्राहकों के मन में डर या उपहास की भावना पैदा करने, भ्रामक संकेत दिखा कर खरीद में हड़बड़ी कराने के लिए प्रेरित करने जैसी चालों को गुमराह करने वाली कार्यप्रणाली ‘डार्क पैटर्न’ की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव कर उसे उभोक्ता अधिकार संरक्षण कानून के तहत निषिद्ध करने जा रही है.

केंद्र के उपभोक्ता कार्य विभाग ने ऑनलाइन बाजार में ग्राहकों को खरीदारी के समय भ्रमित करने की चालबाजियों पर शिकंजा कसने के लिए उपभोक्ता कार्यविभाग ने नियमों का एक सौदा जारी करते हुए गुरुवार को इन पर जनता से पांच अक्तूबर तक सुझाव मांगे हैं. मसौदा दिशानिर्देशों में ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा अपनाई जा रही ऐसी भ्रामक कार्य प्रणालियां सूचीबद्ध की गई है जो उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ हो सकती हैं.

1. झूठी अत्यावश्यकता या अलर्ट (माल खत्म होने की स्थिति का भ्रामक संकेत)

2. बास्केट स्नीकिंग (निकले निकलते ग्राहक की सहमति के बिना अतिरक्ति वस्तु डालना या ग्राहक को परमार्थ में दान आदि के लिए भ्रमित करना)

3. कन्फर्म शेमिंग (ग्राहक में लज्जित होने का डर पैदा करना)

4. सदस्यता जाल (भुगतान की गई सदस्यता को रद्द करना असंभव या लंबी और जटिल बनाने की प्रक्रिया)

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