नई दिल्ली. जी-20 सम्मेलन के लिए विस्तृत एजेंडे का रोडमैप तैयार करने में स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह के सह-संयोजक एनके सिंह की अहम भूमिका रही है.
इस रोडमैप में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) की ऋण देने की क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. ताकि, अति गरीबी को खत्म करने में मदद मिल सके. साथ ही विभिन्न संस्थानों के लिए उपलब्ध संसाधनों का विस्तार करने की सिफारिश भी की गई है. सम्मेलन के बाद दिल्ली घोषणापत्र में ये सिफारिशें शामिल हो सकती हैं.
पूर्व अमेरिकी वित्त मंत्री लॉरेंस समर्स के साथ जी-20 स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह का सह-संयोजक नियुक्त किया गया था. उनके जिम्मे बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार और इन्हें मजबूत करने के लिए विस्तृत मसौदा तैयार करना था. एनके सिंह ने कहा कि शुरू में यह कार्य मुश्किल लगता था, लेकिन उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ इस कार्य को पांच महीने से भी कम समय में पूरा कर लिया. गत जुलाई में जी-20 वित्त मंत्रियों की बैठक में इस मसौदे को रखा गया. अब जी-20 राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में भी इसे चर्चा के लिए शामिल किया गया है. एनके सिंह ने बताया कि मसौदे में एमडीबी की ऋण देने की क्षमता को तीन गुना तक बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है. इसका इस्तेमाल अत्यधिक गरीबी को खत्म करने और साझा संपत्ति को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए. साथ ही इसके दायरे में वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं (जीपीजी) के मुद्दों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है. रियायती वित्त के लिए अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) और सामान्य वित्त के लिए अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) के अलावा एक विशेष तंत्र के निर्माण पर भी जोर दिया गया है. ताकि, वित्त संबंधी मसलों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाए जा सकें. एनके सिंह ने उम्मीद जताई कि जी-20 सम्मेलन में एमडीबी के सुधार से जुड़े सभी प्रमुख मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा होगी और इसके सफल नतीजे सामने आएंगे. दिल्ली घोषणापत्र में निश्चित रूप से इसका उल्लेख होगा. उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी जी-20 की अध्यक्षता में जरूरी अंतरराष्ट्रीय मसलों को प्रमुखता से उठाया है और सम्मेलन में इन मुद्दों पर मंथन किया जाएगा.