Israel-Hamas War: इजरायल पर हमले के लिए क्रिप्टो से जुटाए गए फंड, जानिए क्रिप्टो करेंसी कनेक्शन

Israel-Hamas War: इजराइल और हमास के बीच शनिवार से शुरू हुआ युद्ध आज पांचवें दिन भी जारी है. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें अब तक 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हमास द्वारा किए गए हमले के बाद से इजरायली और अमेरिकी सरकारें हमास की फंडिंग के स्रोतों के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही हैं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सरकार ने अपनी जांच में पाया है कि क्रिप्टोकरेंसी ने हमास को फंडिंग मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाई है. रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि तीन चरमपंथी समूहों, हमास, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद और उसके सहयोगी लेबनानी हिजबुल्लाह ने क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाकर बड़े पैमाने पर इस हमले के लिए धन जुटाया है।
क्रिप्टोकरेंसी से हमास ने की इतनी कमाई!
क्रिप्टोकरेंसी पर रिसर्च करने वाली कंपनी एलिप्टिक ने जानकारी दी है कि इजरायली एजेंसी को पता चला है कि फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने अगस्त 2021 से जून 2023 के बीच क्रिप्टोकरेंसी के जरिए कुल 93 मिलियन डॉलर की कमाई की है. तेल अवीव स्थित क्रिप्टो रिसर्च कंपनी BitOK ने जानकारी दी है कि आतंकी संगठन हमास ने भी इस दौरान क्रिप्टो के जरिए 41 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया है. इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 2019 से हमास क्रिप्टो में पैसा लगाकर इजरायल पर हमले के लिए फंड जुटा रहा है.
आतंकवादी संगठनों को क्रिप्टो के जरिए मिल रहा है फंड- अमेरिका
गौरतलब है कि अमेरिका ने हमास, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद और उसके सहयोगी लेबनानी हिजबुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। ऐसे में ये समूह कहीं भी सीधे निवेश नहीं कर सकते और फंडिंग नहीं पा सकते. अगर वह किसी इक्विटी में निवेश करते हुए पाया जाता है तो अमेरिकी सरकार उस इक्विटी पर प्रतिबंध लगा सकती है। ऐसे में हमास और उससे जुड़े समूहों ने क्रिप्टो के जरिए कमाई का रास्ता अपनाना शुरू कर दिया है.
ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका और इजराइल इन संगठनों को क्रिप्टो जैसे तरीकों से फंडिंग लेने से कैसे रोक सकते हैं. इससे पहले अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि क्रिप्टो में कई कमियां हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकवादी और आपराधिक समूह फंडिंग हासिल करने के लिए कर सकते हैं। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां आईएसआईएस और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को भी क्रिप्टो के जरिए फंडिंग मिली है.