या देवी सर्वभूतेषु शक्ति आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र कल से

शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 15 से शुरू हो रहा है. यह 23 अक्तूबर तक चलेगा. 23 अक्तूबर को नवमी का होम, चंडी पूजा आदि होंगे. काशी के पंचांग के अनुसार 23 अक्तूबर को विजयादशमी भी होगी. कुछ पंचांग 24 को दशमी मान रहे हैं.
घट स्थापना के लिए तैयारी
यदि आप घर में घट स्थापना करना चाहते हैं तो उसकी पहले से तैयारी कर लेनी चाहिए. इन सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी-
● जौ या गेहूं, एक पाव ● लाल चुनरी
● स्वच्छ मिट्टी ● नारियल पानी वाला
● आम के पत्ती ● दूर्वा ● पान के पत्ते
● धूप-दीप ● फूल व माला, माला यदि अड़हुल फूल की हो तो श्रेष्ठ
● कलावा ● पीतल या तांबे का लोटा
● अक्षत ● मिठाई मौसमी फल ●कुमकुम
कई शुभ मुहूर्त
● इस वर्ष शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है, भगवती का आगमन हाथी पर हो रहा है. ये दोनों ही शुभ माने जा रहे हैं.
● 15 अक्तूबर के ग्रह-नक्षत्रों का संयोग- हर्ष, शंख, भद्र, पर्वत, शुभ कर्तरी, उभयचरी , सुमुख, गजकेसरी और पद्म नाम से बन रहे हैं.
● 23 अक्तूबर तक चलने वाले नवरात्र में पद्म, बुधादित्य, प्रीति, आयुष्मान योग के साथ ही तीन सर्वार्थसिद्धि, 3 रवि योग व एक त्रिपुष्कर योग मिलेंगे.
नौ दुर्गा दर्शन
तारीख तिथि दर्शन
15 अक्तूबर रात्रि 1152 तक प्रतिपदा शैलपुत्री देवी
16 अक्तूबर 16/17 की मध्यरात्रि के बाद 1219 मिनट तक द्वितीया ब्रह्मचारिणी देवी
17 अक्तूबर 17/18 की मध्यरात्रि के बाद 1216 मिनट तक तृतीया चंद्रघंटा देवी
18 अक्तूबर रात्रि 1142 मिनट तक चतुर्थी कूष्मांडा देवी
19 अक्तूबर रात्रि 1040 मिनट तक पंचमी स्कंदमाता
20 अक्तूबर रात्रि 0923 मिनट तक षष्ठी कात्यायनी देवी
21 अक्तूबर रात्रि 0727 मिनट तक सप्तमी कालरात्रि देवी
22 अक्तूबर सायं 0525 मिनट तक अष्टमी महागौरी दर्शन
23 अक्तूबर दिन में 0320 मिनट तक महानवमी,
0320 मिनट के बाद विजयादशमी लग जाएगी. सिद्धिदात्री देवी नवरात्र
24 अक्तूबर नवरात्र व्रत पारण, सायंकाल दुर्गा प्रतिमा विसर्जन.
तिथि अनुसार अर्पण
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य प्रो. नागेंद्र पाण्डेय के अनुसार प्रतिपदा पर देवी को हल्दी, द्वितीया पर शक्कर, तृतीया पर लाल वस्त्रत्त्, चतुर्थी पर दही, पंचमी पर दूध, षष्ठी पर चुनरी, सप्तमी पर बताशा, अष्टमी पर पीली मिठाई, नवमी पर खीर अर्पित करना चाहिए.
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त में दिन 1138 बजे
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा, 15 अक्तूबर की सुबह कलश स्थापना नहीं होगी. धर्मशास्त्रत्त् में चित्रा नक्षत्र तथा वैधृति काल में कलश स्थापन का निषेध बताया गया है. 15को कलश स्थापन के लिए अभिजित मुहूर्त दिन में 1138 बजे से 1238 बजे तक रहेगा. महानिशा पूजन 21 अक्तूबर के निशीथकाल में होगा. महाष्टमी व्रत 22 अक्तूबर को होगा.
भगवती का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ
इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा. इसका फल, सुवृष्टि या अधिक वर्षा है. देश-काल के लिए हाथी पर आगमन शुभ माना जाता है. वहीं, गमन मुर्गा पर हो रहा है जिसका फल आमजन में व्याकुलता, व्यग्रता आदि के रूप में दिखता है. माता के आगमन का फल शुभ तथा गमन का फल अशुभ है.
पूजन का शुभ संकल्प
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को तैल अभ्यंग, स्नानादि कर मन में संकल्प लेना चाहिए. तिथि, वार, नक्षत्र, गोत्र, नाम इत्यादि लेकर यह संकल्प करना चाहिए कि माता दुर्गा की प्रसन्नता के लिए प्रसादस्वरूप, दीर्घायु, विपुलधन, पुत्र-पौत्र, स्थिर लक्ष्मी, कीर्ति लाभ, शत्रु पराजय, सभी तरह की सिद्धियों के लिए शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा, कुंवारी पूजन करेंगे. इसके बाद गणपति पूजन, स्वस्तिवाचन, नांदीश्राद्ध, मातृका पूजन इत्यादि करना चाहिए. तदुपरांत मां दुर्गा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए.