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नवरात्रि पर अखंड ज्योति जलाने के  जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

रविवार, 15 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो गए हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर देवी आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना होती है और  मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है.

नवरात्रि पर क्यों जलाते हैं अखंड ज्योति

आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाई जाती है.  नवरात्रि के नौ दिनों में  महाशक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर माँ दुर्गा की उपासना करते हैं. अखंड का अर्थ है जो खंडित न हो अर्थात .जरूरी नहीं कि अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक ही जलाई जाए,अ ष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे के लिए भी अखंड दीपक जलाया जा सकता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अखंड ज्योति जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,घर के सदस्यों को यश एवं प्रसिद्धि मिलती है.  सुख-समृद्धि,आयु,आरोग्य एवं सुखमय जीवन में वृद्धि होती.

नवरात्रि पर जरूर होनी चाहिए घर पर ये चीजें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी दुर्गा 9 दिनों के लिए पृथ्वी पर वास करती हैं और अपने भक्तों आशीर्वाद प्रदान करती है. वहीं भक्त पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. नवरात्रि पर घर पर कुछ चीजें जरूर होने चाहिए. आइए जानते हैं घर पर क्या-क्या चीजें होने चाहिए. 16 श्रृंगार की चीजें, श्रीयंत्र, दक्षिणावर्ती शंख, मोर पंख, लाल फूल, नारियल आदि.

मां शैलपुत्री के मंत्र

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा और साथ में इनसे जुड़े मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि आती हैं. इसके अलावा वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और शांति आती है.

1- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

2- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्.

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

3- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

आज से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है. वैदिक पंचांग के अनुसार यह शारदीय नवरात्रि 24 अक्तूबर तक चलेंगे. नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान होता है. प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ मां के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा-उपासना होती है. शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. इस दिन अनंत शक्तियों वाली माँ की पूजा करते समय उपासक को लाल,गुलाबी,नारंगी एवं रानी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से पूजा के लाभ के साथ माता की कृपा प्राप्त होती है.

कलश स्थापना के दौरान करे इस मंत्र का जाप

कलश स्थापना पर मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है. आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

तदुक्तं तत्रैव कात्यायनेन प्रतिपद्याश्विने मासि भवो वैधृति चित्रयो. आद्य पादौ परित्यज्य प्रारम्भेन्नवरान्नकमिति..

अभिजीत मुहूर्त में करें कलश स्थापना

हिंदू धर्म में अभिजीत मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. अभिजीत मुहूर्त में किया गया कार्य और पूजा बहुत ही शुभ माना जाता है. ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार 15 अक्तूबर को अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है. आज सुबह अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा.

हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है. एक साल में चार नवरात्रि आते हैं जिसमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि होते है जबकि दो गुप्त नवरात्रि होते हैं. नवरात्रि पर 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-आराधना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी दुर्गा की आराधना पर सभी तरह की मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान कुछ कार्यों को नहीं करना चाहिए नहीं तो देवी दुर्गा रुष्ट हो जाएंगी और पूजा का संपूर्ण फल नहीं प्राप्त हो सकेगा.

– नवरात्रि के दिनों में शराब और अन्य तरह के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए.

– नवरात्रि पर बाल और नाखून नहीं कटवाना चाहिए.

– तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए.

– महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए.

– लेदर से बनी चीजों का इस्तेमाल न करें.

– किसी को परेशान नहीं करना चाहिए.

जानिए नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से लाभ

नवरात्रि पर देवी दुर्गा की आराधना करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी के नौ स्वरूप देवी शैलपुत्री, देवी ब्रह्मचारिणी, देवी चंद्रघण्टा, मां कूष्माण्डा, देवी स्कंदमाता, देवी कात्यायनी, देवी कालरात्रि, देवी महागौरी, देवी महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना होती है. इन नौ दिनों देवी की उपासना करने पर कई तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है.

दिन    नवरात्रि दिन   तिथि   पूजा-अनुष्ठान

15 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 1   प्रतिपदा       देवी शैलपुत्री की पूजा से चंद्र दोष समाप्त होता है.

16 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 2  द्वितीया       देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल दोष खत्म होता है.

17 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 3  तृतीया        देवी चंद्रघण्टा पूजा से शुक्र ग्रह का प्रभाव बढ़ता है.

18 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 4   चतुर्थी         माँ कूष्माण्डा की पूजा से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है.

19 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 5   पंचमी         देवी स्कंदमाता की पूजा से बुध ग्रह का दोष कम होता है.

20 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 6  षष्ठी  देवी कात्यायनी की पूजा से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है.

21 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 7                  सप्तमी         देवी कालरात्रि की पूजा से शनिदोष खत्म होता है.

22 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 8   अष्टमी        देवी महागौरी की पूजा से राहु का बुरा प्रभाव खत्म होता है.

23 अक्तूबर 2023             नवरात्रि दिन 9   नवमी         देवी सिद्धिदात्री की पूजा से केतु का असर कम होता है.

 घट स्थापना पर इन पूजा सामग्री का करें प्रयोग

जौ

मिट्टी

जल का कलश

लौंग

कपूर

मौली

रोली

चावल

सिक्के

अशोक

आम के पत्ते

नारियल

चुनरी

फल

फूल

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