दिल्ली-जयपुर हाईवे पर शुक्रवार रात को हुए हादसे ने चार घरों के चिराग बुझा दिए. चारों युवक दिवाली पर अपने-अपने घर जाने की तैयारी में थे. घरवाले भी इंतजार में पलक-पावड़े बिछाए हुए थे, लेकिन उनके पहुंचने से पहले मौत की खबर पहुंच गई. एक पल में दिवाली की खुशी मातम में बदल गई. इस हादसे की सूचना के बाद से परिजनों और दोस्तों का रो-रोकर बुरा हाल है.
इस हादसे में मरने वालों में तीन दोस्त एक ही कार में सवार थे. टैंकर की जोरदार टक्कर से तीनों दोस्त जिंदा जल गए. वे सोनीपत के कुंडली स्थित एक निजी कंपनी में काम करते थे. कंपनी की तरफ से तीनों राजस्थान के भिवाड़ी में दिवाली के गिफ्ट वेंडर को देने जा रहे थे.
इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी जींद निवासी लोकेश मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर कंपनी में क्वालिटी इंजीनियर के पद पर था. पानीपत के समालखा निवासी जितेंद्र ने डिप्लोमा किया हुआ था. वह कंपनी में क्वालिटी मैनेजर था, जबकि पवन दूबे परिवार के साथ दिल्ली में रहता था. वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कंपनी में ऑडिट इंजीनियर के पद पर था.
लोकेश और जितेंद्र पर थी परिवार की जिम्मेदारी लोकेश के पिता की मौत हो चुकी है. पूरे परिवार की जिम्मेदारी लोकेश पर ही थी. जितेंद्र के दो छोटे बेटे हैं. घर में कमाने वाला कोई नहीं है.
जन्मदिन पर मौत 35 वर्षीय पिकअप चालक त्रिलोक का दस नवंबर को जन्मदिन था. भिवाड़ी में मां, दो बेटियां और पत्नी इंतजार कर रही थी.
कार के चारों दरवाजे हो गए थे जाम
कार में आग लगने के बाद कार के चारों दरवाजे जाम हो गए थे. उन्हें तोड़ने के बाद युवकों के कंकालों को बाहर निकाला गया, जबकि पिकअप चालक स्टेयरिंग और सीट के बीच में बुरी तरह फंसा हुआ था. स्थानीय लोगों और पुलिस की कई घंटों की मशक्कत के बाद कटर की मदद और क्रेन से खींचकर पिकअप चालक को बाहर निकाला गया.
मदद की बजाय वीडियो बनाते रहे लोग
गुरुग्राम. दिल्ली-जयपुर हाईवे पर हुए हादसे में टैंकर की कार से हुई टक्कर के बाद अचानक आग लग गई थी. कार के चारों दरवाजे अंदर से बंद हो गए थे. वहां मौजूद लोग मदद करने की बजाय वीडियो बनाते रहे.
कार में आग लगने के बाद तीनों दोस्त बाहर निकलने के लिए मशक्कत कर रहे थे, लेकिन कोई निकल नहीं पाया. कुछ ही देर में आग पूरी कार में फैल गई. बताया जा रहा है कि कोई भी मदद करने के लिए आगे नहीं आया.