नई दिल्ली . एम्स में बीते 36 घंटों में तीन लोगों के परिजनों ने अपनों की मौत के बाद अंगदान की सहमति दी. इससे सात लोगों को अंग देकर जान बचाई जा सकी. इनमें दो वर्षीय बच्ची से लेकर 48 वर्षीय महिला तक शामिल है.
दिल्ली एनसीआर की सबसे छोटी अंगदाता एम्स में शुक्रवार को दो साल की बच्ची के अंगदान से कई बच्चों की जान बचाई जा सकी. यह दिल्ली एनसीआर की सबसे छोटी अंगदाता है. दिव्यांशी का दिल अब तमिलनाडु के चेन्नई में भर्ती आठ माह के बच्चे में धड़केगा.
दिव्यांशी की दादी रजनी ने बताया कि संगम विहार स्थित घर में 11 नवंबर को पोती छत पर खेल रही थी. इसी दौरान अचानक वह छज्जे से नीचे गिर गई. अस्पताल में उसे बचाया नहीं जा सका.
एम्स के प्रत्यारोपण कोर्डिनेटर के समझाने पर हमने अंगदान का फैसला लिया. डॉक्टरों ने बताया कि दिव्यांशी के दिल को चेन्नई के आठ महीने के बच्चे को दिया गया है. इस अंग को चेन्नई ले जाने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद से एम्स से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. इस बच्ची की दोनों किडनी एम्स में 17 साल के बच्चे में प्रत्यारोपित की गई. बच्ची की आंखों के कॉर्निया को नेत्र बैंक में जमा करा दिया गया है.
शशि मिसाल बनीं
बीती 16 नवंबर को शशि नोएडा में सड़क हादसे में घायल हो गई थीं. उन्हें एम्स रेफर किया गया. शशि के सिर में गंभीर चोट आई थी. इलाज के दौरान 17 नवंबर को वे ब्रेन डेड हो गईं. परिवार ने अंगदान पर सहमति दी और महिला की दो किडनी से दो लोगों की जिंदगी बची.