
अल-नीनो के प्रभाव से इस बार गर्मी दो माह पहले ही शुरू होने की आशंका है. अप्रैल में ही जून जैसी तेज तपिश हो सकती है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक अल-नीनो का प्रभाव मई 2024 तक बना रहेगा. इस कारण अगले साल गर्मी सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है. पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार सर्दियों के दिन कम होंगे और गर्म दिन बढ़ेंगे. इससे फसल चक्र प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है. मौसम वैज्ञानिक डॉ.आरके सिंह कहते हैं, अल-नीनो की गति के अध्ययन से अंदाजा लगाया जा रहा है कि अप्रैल तक इसकी सक्रियता तीखी बनी रह सकती है. इससे अप्रैल में ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की आशंका है. सामान्य तौर मैदानी क्षेत्रों में इस वक्त तापमान 34 से 36 डिग्री के बीच रहता है.
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इस साल जुलाई में अल-नीनो का प्रभाव शुरू हो गया था. पंतनगर विवि के वैज्ञानिकों के मुताबिक विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट कहती है कि मई 2024 तक अल-नीनो के सक्रिय रहने की संभावना 85 प्रतिशत है. इससे फरवरी से तापमान में वृद्धि होने लगेगी.
सूखे और बाढ़ का खतरा बढ़ेगा
अल-नीनो के कारण प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है. इस गर्मी की वजह से समुद्र में चल रही हवाओं के रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आता है. इससे मौसम चक्र प्रभावित होता है जिससे कई जगह सूखा पड़ता है और कई जगहों पर बाढ़ का भी खतरा है.
अल-नीनो के प्रभाव से इस बार तापमान में काफी बदलाव देखा जा रहा है. इस बार सामान्य से ज्यादा गर्मी की आशंका है. -डॉ.बिक्रम सिंह, निदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून
अल-नीनो प्रभाव मौसम संबंधी एक विशेष स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है. इस प्रभाव की वजह से तापमान काफी बढ़ जाता है. इससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है. ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं.