महज 14 मिनट में पूरी ट्रेन की सफाई करने के ‘14 मिनट का चमत्कार’ के सफल प्रयोग को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने इस फार्मूले को सभी वंदे भारत ट्रेनों में लागू करने का फैसला किया है. भारतीय रेल की सभी यात्री ट्रेनें सफाई व रख रखाव में कम से चार से पांच घंटे का समय लेती हैं. लेकिन वंदे भारत ट्रेन के टाइम टेबल में इतना समय नहीं होता है, इसलिए रेलवे ‘14 मिनट का चमत्कार’ फार्मूला लागू किया है.
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि पहली वंदे भारत दिल्ली-वाराणसी के बीच चलाई गई. अपर्याप्त संख्या में वंदे भारत नहीं होने के कारण एक ट्रेन से अप-डाउन किया जाता है. दिल्ली से चलने वाली वंदे भारत वाराणसी दोपहर दो बजे पहुंचती है और तीन बजे पुन दिल्ली के लिए रवाना हो जाती है. समय के अभाव को देखते हुए एक अक्तूबर से वंदे भारत ट्रेनों की सफाई के लिए ‘14 मिनट का चमत्कार’ फार्मूला लागू किया गया.
प्रशिक्षण और आधुनिक उपकण
वंदे भारत ट्रेन की सफाई को बाकायदा कर्मचारियों को प्रशिक्षण एवं आधुनिक उपकरण दिए गए हैं. एक वंदे भारत ट्रेन (16 कोच) में 48 सफाई कर्मचारियों को काम पर लगाया जाता है. ट्रेन के कोच की सतह, सीट, खिड़की, शौचालय, छत आदि की सफाई प्रत्येक कर्मचारी के लिए तय होती है. जिससे इतने कम समय में पूरी ट्रेन को चमका दिया जाता है. इसके लिए ट्रेन कोच में पानी भरने, ब्रेक, मोटर आदि की जांच के लिए संरक्षा कर्मचारी अलग से काम करते हैं. अधिकारी ने बताया कि दिल्ली-अजमेर वंदे भारत ट्रेन में सफाई के लिए छह घंटे से अधिक का समय है, लेकिन 14 मिनट वाला फार्मूला सभी पर लागू किया जाएगा.
यह है ‘14 मिनट का चमत्कार’
भारतीय रेल ने जापान की बुलेट ट्रेन से सीख लेते हुए वंदे भारत में ‘14 मिनट का चमत्कार’ फार्मूला लागू किया है. जापान की बुलेट ट्रेन के गंतव्य पर सात मिनट में सफाई पूरी हो जाती है. पुन बुलेट ट्रेन चलने को तैयार हो जाती है. इसी फार्मूले पर वंदे भारत ट्रेनों की सफाई के लिए ‘14 मिनट का चमत्कार’ फार्मूले को लागू किया गया है.