धरती की धीमी हो रही रफ्तार से लंबे होंगे दिन

वाशिंगटन: पृथ्वी के आंतरिक कोर की गति ग्रह की सतह की तुलना में धीमी हो रही है. इसके पीछे की वजह जलवायु परिवर्तन के कारण ध्रुव पर पिघल रही बर्फ है. अध्ययन से पता चला है कि आंतरिक कोर की गति में कमी एक दशक पहले 2010 में शुरू हुई थी. वैज्ञानिकों द्वारा इसे मापने की क्षमता विकसित करने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है.
पृथ्वी का आंतरिक कोर वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती की आंतरिक कोर ठोस है जो लोहे और निकल से बनी है. यह हमारे ग्रह का सबसे गर्म और घना हिस्सा है, जहां का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. आंतरिक कोर लगभग चंद्रमा के आकार की है और हमारे पैरों के नीचे करीब 3000 मील से अधिक दूरी पर त है. यह बदलाव पूरी पृथ्वी के घूर्णन यानी चक्कर में फेरबदल करेगा. इससे हमारे दिन की लंबाई बढ़ जाएगी. हालिया अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है. वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती अपनी धुरी पर करीब 1000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है. धरती को एक चक्कर पूरा करने में 23 घंटे 56 मिनट और 4.1 सेकंड का समय लगता है. इससे ही धरती के एक हिस्से में दिन और दूसरे में रात होती है. धरती अपनी धुरी पर घूमती रहती है, लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता है.
भूकंपीय गतिविधियों से पता चला वैज्ञानिकों ने 1991 से 2023 के बीच साउथ सैंडविच आइलैंड, सोवियत, फ्रेंच और अमेरिकी नाभिकीय परीक्षणों और लगातार आ रहे 121 भूकंपीय गतिविधि के आंकड़ों का विश्लेषण किया. शोधकर्ता भूकंप की तरंगों का उपयोग करके इसका अध्ययन कर सकते हैं.
स्तब्ध रह गए शोधकर्तादक्षिण कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर अध्ययन किया जो साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई. अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी की आंतरिक कोर पीछे की ओर जा रही है. यूएससी डोर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स, आर्ट्स एंड साइंसेज में अर्थ साइंस के डीन प्रोफेसर जॉन विडेल ने कहा, ‘जब मैंने पहली बार इस बदलाव का संकेत देने वाले सिस्मोग्राम देखे, तो मैं स्तब्ध रह गया.’ अगर यही ट्रेंड बना रहा तो अंतत पूरे ग्रह के घूर्णन को बदल सकता है, जिससे दिन बढ़ सकते हैं.’
पृथ्वी की धुरी पर असरदुनिया में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जिसका असर पृथ्वी की धुरी पर हो रहा है. ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक विन्सेंट हम्फ्रे ने बताया था कि पृथ्वी के ऊपरी हिस्से से वजन हटा कर दूसरी ओर कर दिया जाए तो घूर्णन में बदलाव स्वभाविक है. पृथ्वी पर मौजूद द्रव्यमान के वितरण में बदलाव का असर धुरी पर हो रहा है.