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नाबालिग के साथ बलात्कार जघन्य अपराध, 20 साल कैद और जुर्माना उचित

बिलासपुर: हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत नाबालिग के अपहरण और बलात्कार से जुड़े एक मामले में अपराध सिद्ध होने पर दोषी की सजा जारी रखने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने पाया कि आरोपी ने नाबालिग को बरगलाया और यौन उत्पीड़न किया. कोर्ट ने उसकी 20 साल की सजा और जुर्माने को उचित ठहराते हुए कहा कि ‘‘अपीलकर्ता ने एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का जघन्य अपराध किया है, और यह विधिवत साबित भी हो चुका है.’’

डिवीजन बेंच ने फैसले में आरोपी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट के फैसले की पुष्टि की. अपराधी पर आईपीसी की धारा 363, 366 और 376 के तहत आरोप लगाए गए थे. साथ ही पॉक्सो अधिनियम की धाराओं में कई कानूनी मुद्दे उठाए गए. इनमें पीड़िता की आयु निर्धारण की वैधता, अभियोजन पक्ष के साक्ष्य की विश्वसनीयता और आरोपी तथा पीड़िता के परिवारों के बीच भूमि विवाद के कारण कथित झूठे आरोप शामिल हैं.



यह है मामला प्रकरण के अनुसार पीड़िता के पिता ने 29 अगस्त 2020 को पुलिस में एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की. इसके अनुसार थाना रामानुजगंज के तहत 27 अगस्त 2020 को रात्रि लगभग 11 बजे, पीड़िता, उम्र 14 वर्ष 4 माह घर से लापता थी. उसको ढूंढने का प्रयास किया जा रहा था. उन्हें सूचना प्राप्त हुई कि अभियुक्त लालबाबू सोनवानी अपने साथी के साथ पीड़िता को मोटरसाइकिल से ले जा रहा था. लड़की के भाई ने उसका पीछा किया तो उसने पीड़िता को मोटरसाइकिल से गिरा दिया और अपने साथी के साथ अंबिकापुर की ओर भाग गया. इस बीच पीड़िता घर आ गई और बताया कि आरोपी लालबाबू उसे बहला-फुसलाकर ले गया और जंगल में ले जाकर बलात्कार किया. ट्रायल कोर्ट ने धारा 363 आईपीसी अपहरण, धारा 366 विवाह या अवैध संभोग के लिए मजबूर करने के इरादे से अपहरण, धारा 4(2) पॉक्सो अधिनियम में यौन उत्पीड़न के लिए 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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