राष्ट्रीय

पौष्टिक भोजन जुटा पाने में असमर्थ हैं अधिकांश भारतीय

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पौष्टिक भोजन जुटा पाने में अधिकांश लोग असमर्थ हैं. भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कम लोग भूखे रह रहे हैं लेकिन जंक फूड का चलन बढ़ रहा है.

देश की आधी से ज्यादा आबादी अभी भी स्वस्थ आहार नहीं ले पा रही है. बीते एक दशक में मोटापा दोगुना हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों की ओर से दुनिया में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई है इसमें देशों के बीच तुलना है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुपोषण या भूख की व्यापकता 2004-06 में 21.4 आबादी से घटकर 2021-23 में 13.7 हो गई. लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत की 55.6 आबादी यानि लगभग 79 करोड़ लोग 2022 में स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ थे.

मोटापा बढ़ा भूख को शांत करने के लिए चावल और गेहूँ जैसी कम पोषण वाली चीजें काफी हैं. लेकिन भारत में अधिकांश लोग अभी भी पौष्टिक आहार नहीं ले रहे हैं. फल, सब्जियां, प्रोटीन और डेयरी से युक्त स्वस्थ आहार महंगे हैं. भारत में मोटापा भी बढ़ गया है. 2012 और 2022 के बीच,मोटापा से जूझ रही आबादी 4.1 से बढ़कर 7.3 हो गया. भारत में अब 7 करोड़ से ज्यादा वयस्क मोटापे से ग्रसित हैं.

खाद्य सुरक्षा योजना में पौष्टिक आहार नहीं भारत में दुनिया का सबसे बड़ा मुफ्त खाद्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके तहत हर महीने 81 करोड़ ज्यादा लोगों को 5 किलो अनाज दिया जाता है. यह योजना सिर्फ भूख मिटाने तक सीमित है.

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