रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने UPI की तर्ज पर यूएलआई (यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस) पेश करने का ऐलान किया है. इसके जरिए लोगों को बेहद कम समय लोगों को कर्ज दिया जा सकेगा. इसका बड़ा फायदा छोटे रकम के कर्ज लेने वालों को होगा, खासकर छोटे कारोबारियों और उद्यमों को. आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने सोमवार को इसकी जानकारी दी.
उन्होंने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि आरबीआई ने अपनी नवीनतम तकनीकी पहल यूएलआई पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है. इसे जल्द ही पूरे देश में लागू किया जाएगा. यह पहल केंद्रीय बैंक की ओर से ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को अधिक सुगम और तेज बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने दो राज्यों में आसान ऋण को सक्षम बनाने वाले प्रौद्योगिकी मंच की पायलट परियोजना शुरू की थी. उस समय इस योजना का नाम एफसीपी (फ्रिक्शनलैस क्रेडिट प्लेटफॉर्म) था. अब इसका नाम बदलकर यूएलआई कर दिया गया है.
छोटे गावों और कस्बों को होगा फायदा : यूएलआई का सबसे ज्यादा फायदा देश के छोटे गांवों, कस्बों और छोटे-मझोले उद्यमों को होगा. इसे यूपीआई की तर्ज पर विकसित किया गया है. इसकी मदद से बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां कर्ज देने में आसानी महसूस करेंगी. इसे कोई भी संस्था आसानी से अपना सकेगी. जैसे यूपीआई ने भुगतान के तरीके को बदल दिया, वैसे ही यूएलआई भी कर्ज देने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है.
ये ऋण मिल सकेंगे
यूएलआई प्लेटफॉर्म के जरिए किसान क्रेडिट कार्ड लोन, डेयरी लोन, एमएसएमई लोन, पर्सनल लोन और होम लोन के लिए आवेदन किया जा सकेगा. पिछली बार आरबीआई ने फ्रिक्शनलेस क्रेडिट प्लेटफॉर्म के पायलट परीक्षण के दौरान इस पर ध्यान केंद्रीय किया था.
ऐसे काम करेगा यूएलआई
इस प्लेटफॉर्म को यूपीआई की तर्ज पर विकसित किया गया है. जिस तरह ऑनलाइन भुगतान ऐप यूपीआई सिस्टम पर आधारित हैं, उसी तरह यूएलआई पर आरबीआई द्वारा स्वीकृत लोन ऐप होंगे. ग्राहक यहां कर्ज के लिए आवेदन करेंगे. उनका बैंक खाता इससे जुड़ा होगा. कर्ज स्वीकृत होने पर ऐप पर सुरक्षा पिन दर्ज करना होगा, जिसके बाद ऋण की रकम ग्राहक के खाते में आ जाएगी.
इस प्लेटफॉर्म पर सभी जानकारी रहेगी
यूएलआई प्लेटफॉर्म पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों की सभी जरूरी डिजिटल जानकारियां होंगी. इन्हें आधार, ई-केवाईसी, राज्य सरकार के भूमि रिकॉर्ड, पैन सत्यापन सहित अलग-अलग स्रोतों से एकत्र किया जाएगा.
इससे कर्ज देने वाले संस्थानों को सभी जरूरी जानकारी एक ही जगह मिल जाएगी और कर्ज जारी करने की प्रक्रिया में लगने वाला समय कम हो जाएगा.