अमरीका में ब्याज दर में कटौती शुरू होने के बाद आरबीआइ की स्टेट ऑफ द इकोनॉमी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भी ब्याज दरों में कटौती होनी चाहिए. घरेलू स्थितियां रेट कट के लिए मुफीद हैं. अगर आरबीआइ भी दरों में कटौती करता है तो बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट आएगी. अभी 10 साल वाले बॉन्ड का यील्ड गिरकर 6.88% पर पहुंच गया है जो कटौती होने पर 6.5% पर आ सकता है. आनंद राठी ने कहा, सरकार की कम बॉरोइंग और वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड के शामिल होने से बॉन्ड यील्ड घटा है. ब्याज दरें घटने पर डेट म्यूचुअल फंड्स खासकर लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद है.
ब्याज दरें घटने पर बॉन्ड यील्ड में आएगी गिरावट, जिससे बॉन्ड की कीमतें बढ़ेंगी और निवेशकों को मिलेगा अधिक रिटर्न
इन फंड्स ने दिया सबसे अधिक रिटर्न
स्कीम रिटर्न
बंधन डायनेमिक बॉन्ड फंड 11.2%
इन्वेस्को इंडिया गिल्ट फंड 11.1%
एक्सिस गिल्ट फंड 10.8%
डीएसपी गिल्ट फंड 10.7%
एडलवाइस जी-सेक फंड 10.6%
(पिछले एक साल में मिला रिटर्न)
क्या करें निवेशक…
फिस्डम के नीरव करकेरा ने बताया, लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स ब्याज दरों को लेकर अधिक सेंसिटिव होते हैं और रेट-कट साइकल में ये अच्छा प्रदर्शन करते हैं. पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा अचानक आई जरूरतें पूरी करने के लिए लिक्विड फंड में होना चाहिए. ज्यादा जोखिम से बचाने के लिए 40% रकम कम अवधि के फंड में डालिए. यह अवधि 1 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. संदीप बागला ने बताया, दरों में कटौती का फायदा उठाने के लिए निवेशकों को 06 से 08 साल की अवधि के लिए अपने कुल डेट पोर्टफोलियो का 30% से 40% निवेश लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स और डायनेमिक बॉन्ड फंड में करना चाहिए.
इसलिए हैं कारगर
ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने बताया, अमरीका में ब्याज दर में कटौती का सिलसिला शुरू हो गया है. भारत में भी जल्द दरों में कटौती होने की उम्मीद है. इससे बॉन्ड प्रतिफल में और गिरावट आएगी. बॉन्ड यील्ड घटने से बॉन्ड की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स का भी रिटर्न बढ़ जाएगा. ये फंड हाई क्वालिटी वाले सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में निवेश करते हैं, जिसके कारण पूरी तरह सुरक्षित हैं. ब्याज दरों में गिरावट से इन फंड्स का एनएवी बढ़ जाएगा. साथ ही ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में भारत के शामिल होने से भी इनकी बॉन्ड्स की कीमतें बढ़ेंगी.