योग निद्रा, यानी होश में सोने की प्रक्रिया दिमाग को काफी सुकून देती है. एम्स दिल्ली, आईआईटी दिल्ली और महाजन इमेजिंग के एक संयुक्त अध्य्यन में पता चला है कि कुछ मिनटों की योग निद्रा कई घंटों की नींद के बराबर लाभदायक है.
पहली बार, भारतीय शोधकर्ताओं ने इस प्राचीन अभ्यास को करने वाले लोगों का ब्रेन स्कैन किया. फंक्शनल एमआरआई के जरिए एक ऐसा ब्रेन स्कैन किया जो ब्लड सर्कुलेशन में बदलावों को ट्रैक करके ब्रेन की गतिविधि को मापता है. इसके जरिए यह समझने की कोशिश की गई कि योग निद्रा करने पर दिमाग का कैसे असर होता है. एम्स की न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि अनिद्रा यानी क्रॉनिक इन्सोम्निया से ग्रसित मरीजों के लिए योग निद्रा काफी फायदेमंद है. इससे ग्रसित 60 मरीजों पर चार साल तक चली स्टडी में यह बात सामने आई है कि योग निद्रा इस बीमारी को ठीक करने में काफी मददगार है.
वैज्ञानिकों ने पाया है कि योग निद्रा करने वाले लोगों का दिमाग अलग तरह से काम करता है. जब हम सामान्य तौर पर सोचते हैं या कुछ नहीं सोचते हैं तो हमारे दिमाग का एक हिस्सा बहुत सक्रिय होता है, लेकिन योग निद्रा करने वालों में यह हिस्सा कम सक्रिय होता है. इससे उन्हें बहुत आराम मिलता है, लेकिन वे पूरी तरह जागते भी रहते हैं.
खास तरह का तंत्रिका तंत्र सक्रिय डॉ. हर्ष महाजन (महाजन इमेजिंग एंड लैब्स के चेयरमैन) ने बताया कि यह एक बहुत पुरानी योग विधि है. अध्ययन के दौरान यह भी पता चला है कि जो लोग योग निद्रा करते हैं, उनके दिमाग में एक खास तरह का तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है, जो उन्हें शांति प्रदान करता है. इससे मरीजों को काफी राहत मिलती है. उन्होंने कहा कि कई मरीजों पर शोध करने के बाद यह बात सामने आई है.