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दूध की बोतल से भी बच्चों को निमोनिया का खतरा

बच्चों को बोतल से दूध पिलाना खतरनाक हो सकता है. बोतल लगी छोड़ देने से कई बार अधिक दूध मुंह में जमा हो जाता है. बच्चे को ठसका लगता है और दूध सांस नलियों में चला जाता है. यह दूध जमा होने पर संक्रमण का कारण बनता है. यहीं से निमोनिया की शुरुआत होती है.

इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स आगरा चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण जैन ने बताया, सर्दियों में निमोनिया व डायरिया एक से पांच साल तक के बच्चों में आम बात है, पर निमोनिया खतरनाक है. यह अक्सर हल्के जुकाम से शुरू होकर बुखार, पसलियों का चलना, तेज सांस और कराहने तक पहुंच जाता है. यहीं से निमोनिया शुरू हो जाता है. इस समय इलाज नहीं मिलने पर फेफड़ों में पस (मवाद) भर जाता है. ऐसा होने पर इसे नली के जरिए निकालना पड़ता है. अन्यथा की स्थिति में बच्चे की सांस बंद हो जाती है. मौत का खतरा बढ़ जाता है.

इन स्थितियों से बचें

1. शिशुओं के कमरे में मच्छर अगरबत्ती न लगाएं

2. माताएं सुबह सैर पर न निकलें

3. स्तनपान ही कराएं, दूध की बोतल से बचा जाए

4. नवजात शिशुओं को सूखे और साफ कपड़ों में रखें, निमोनिया का टीका वक्त पर लगवाएं

पहले वायरल फिर बैक्टीरियल निमोनिया

पांच साल तक के बच्चों में आम तौर पर वायरल निमोनिया होता है. इससे ऊपर की उम्र के बच्चों को वायरल के साथ बैक्टीरियल निमोनिया भी हो जाता है. एक साल से अधिक उम्र के बच्चों में ‘एच इन्फ्लूएंसी’ अधिक पाई जाती है. दो साल तक के बच्चों की सांस नली अपेक्षाकृत छोटी रहती है.

एक से दो साल तक के बच्चों की सांस गति एक मिनट में 40-50 बार तक सामान्य मानी जाती है. इससे अधिक सांस की गति होने पर निमोनिया का खतरा रहता है. वयस्कों की सामान्य सांस लेने की गति 18 से 20 प्रति मिनट होती है. उनकी रफ्तार इससे अधिक है तो सांस संबंधी दिक्कतों की घंटी है.

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