भारतीय नौसेना ने बुधवार को परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. यह मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है. मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर तक है. रक्षा सूत्रों के अनुसार, परीक्षण के परिणामों का विश्लेषण किया जा रहा है.
भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग कार्य समूह की बैठक में रक्षा से जुड़े अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई है. माना जा रहा है कि इससे एस-400 मिसाइल सिस्टम की शेष दो यूनिटों की जल्द आपूर्ति का रास्ता भी साफ होगा. अगले साल दोनों यूनिटें भारत को मिल जाएंगी.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग से संबंधित भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) के अंतर्गत सैन्य सहयोग पर कार्य समूह की चौथी बैठक मॉस्को में आयोजित की गई. बैठक की सह-अध्यक्षता भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और रूसी सशस्त्रत्त् बलों के जनरल स्टाफ के मुख्य परिचालन निदेशालय के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डाइलेव्स्की इगोर निकोलाविच ने की.
भारत के पास अब जमीन, हवा और पानी से परमाणु मिसाइल दागने की क्षमता
इस मिसाइल के परीक्षण के साथ ही, भारत के पास अब जमीन, हवा और पानी के नीचे से परमाणु मिसाइल दागने की क्षमता है. के4 मिसाइल का परीक्षण बुधवार को विशाखापत्तनम के तट पर किया गया था. पिछले कुछ वर्षों में, भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा हैै. इससे दस दिन पहले पहले ओडिशा तट से हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था.
परमाणु पनडुब्बी से मिसाइल का पहला परीक्षण
रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह किसी पनडुब्बी से पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) का पहला परीक्षण था. इस मिसाइल का पिछले कुछ वर्षों में पनडुब्बी प्लेटफार्मों से कम से कम पांच बार परीक्षण किया गया था. यह मिसाइल डीआरडीओ ने बनाई है. डीआरडीओ ने मिसाइल के पूर्ण रेंज परीक्षण से पहले व्यापक परीक्षण किए थे. यह मिसाइल 17 टन वजनी और 39 फीट लंबी है. 2500 किलोग्राम तक स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार ले कर उड़ान भरने में सक्षम है. भारतीय नौसेना अब मिसाइल प्रणाली के और परीक्षण करने की योजना बना रही है.