धर्म एवं साहित्यज्योतिष

आज कई दुर्लभ योगों में रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी व्रत

रायपुर. इस बार मोक्षदा एकादशी पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग भी बन रहे हैं. इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी. मागर्शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, दिन बुधवार को यह व्रत रखा जाएगा. सुहेला भाटापारा के ज्योतिषाचार्य पं. राजेश वैष्णव ने बताया कि महत्व मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है. इसे गीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है. शास्त्रों में मोक्षदा को ‘मौना एकादशी’ या ‘मौन अग्यारस’ भी कहते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोक्ष देने वाली एकादशी. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत को करने से पितरों को भी मोक्ष मिलता है. साथ ही भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

 कई दुर्लभ योग बन रहे

एक ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस साल मागर्शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 दिसंबर प्रातः 3 बजकर 42 मिनट पर होगा. इसका समापन 12 दिसंबर को रात्रि 1 बजकर 9 मिनट पर होगा. मोक्षदा एकादशी पर दुर्लभ भद्रावास योग सहित कई दुर्लभ योगों का निर्माण हो रहा है. भद्रावास योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से हो रहा है. वहीं, भद्रावास योग का समापन 12 दिसंबर को देर रात 01 बजकर 09 मिनट पर होगा. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी. इस समय भद्रा स्वर्ग में रहेंगी. रवि योग का भी निर्माण हो रहा है. इस योग का निर्माण प्रातः काल 07 बजकर 04 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 48 मिनट तक है. इसके साथ ही वरीयान योग का भी संयोग बन रहा है. वरीयान योग सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं, मागर्शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रेवती और अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इसके अलावा, वणिज और विष्टि योग का निर्माण हो रहा है.

पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि उन्होंने बताया कि मोक्षदा एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें. घर के पूजा स्थल को साफ करें और वहां भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. विष्णु जी को पीले फूल, तुलसी दल और चंदन अर्पित करें. गंगा जल या शुद्ध जल से भगवान को स्नान कराएं. विष्णु सहस्रनाम या भगवत गीता का पाठ करें. पूरे दिन उपवास रखें. अगर पूर्ण व्रत संभव न हो, तो फलाहार कर सकते हैं. रात्रि में जागरण कर भगवान का ध्यान करें.

मोक्षदा एकादशी पारण

 पंचांग के अनुसार, जिसके अनुसार मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण गुरुवार 12 दिसंबर को किया जाएगा. व्रत पारण का समय सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगा.

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