आरटीई: छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों का 300 करोड़ रूपए से ज्यादा बकाया
रायपुर. निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति राशि 300 करोड़ रूपए बकाया है. इसके चलते कई निजी स्कूल परेशान हैं. वहीं 12 साल में महंगाई तेजी से बढ़ी है, लेकिन आरटीई की प्रतिपूर्ति की राशि अब तक नहीं बढ़ी है. छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने 11 सूत्रीय मांगों का पत्र स्कूल शिक्षा सचिव को देते हुए एक सप्ताह में मांगों को लेकर सकारात्मक निर्णय नहीं होने पर आन्दोलन की चेतावनी दी है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता एवं सचिव मोती जैन ने बताया कि निजी स्कूलों की आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि 300 करोड़ रूपए बकाया है. इसे शीघ्र ही स्कूलों के खाते में हस्तांतरित किया जाए. पिछले 12 वर्षों से आरटीई की राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई है. प्राथमिक कक्षाओं में 7000 से बढ़कर 15000, माध्यमिक में 11,500 से बढ़ाकर 18,000 एवं हाई और हायर सेकेंडरी की अधिकतम सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रूपए तक करने का आग्रह किया है. बजट में आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि हेतु 65 करोड़ का प्रावधान है जबकि इतने सालों में छात्र संख्या बढ़ने के कारण यह राशि अब पर्याप्त नहीं है. एसोसिएशन ने बजट को बढ़ाकर 150 करोड़ करने की भी मांग की है. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि स्कूली बसों को 12 साल बाद फिटनेस नहीं दी जा रही और वह बेकार हो जा रही हैं जबकि आम बसों को 15 साल की अवधि तक संचालित करने का नियम है. लिहाजा स्कूली बसों को भी 15 साल की अवधि के लिए फिटनेस का प्रावधान किया जाए. बसों के लिए जीपीएस तथा पैनिक बटन जो बाजार में आसानी से 3500 से 4000 रूपये के बीच उपलब्ध है, उसे 13500 से 14000 रुपए में कंपनियां दे रही हैं.
केन्द्रीयकृत परीक्षा अगले साल से लागू करने की मांग
प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने प्रदेश में इसी शिक्षा सत्र से लागू होने जा रही 5वीं 8वीं केन्द्रीकृत परीक्षा से निजी स्कूलों को इस साल अलग रखने की भी मांग की है. एसोसिएशन ने कहा कि संगठन शासन के निर्णय का स्वागत करता है किन्त निजी स्कूलों में उक्त केन्द्रीकृत परीक्षा व्यवस्था अगले सत्र से लागू की जाए. इसी तरह कुछ छुट्टियों का अधिकार स्कूलों को देने का आग्रह किया है. एसोसिएशन की मानें तो स्कूल शिक्षा विभाग की नियमावली में प्रति वर्ष 220 दिन स्कूल के संचालन का नियम है लेकिन गत वर्षों से प्रदेश में स्कूल 180 से 185 से ज्यादा संचालित नहीं हो रहें है. पढ़ाई के नुकसान से बचने के लिए कुछ छुट्टियों का अधिकार स्कूलों को दिया जाये.
5 साल के लिए मान्यता दी जाए
एसोसिएशन ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को भी सरस्वती साइकिल योजना का लाभ देने की मांग की है. पट्टणकारियों का कहना है कि कम से कम आरटीई के तहत प्रवेशित बालिकाओं को दिया जा सकता है. इनकी संख्या भी कम है. इसीतरह निजी स्कूलों की मान्यता 5 वर्ष तक के लिए दी जाए. मान्यता के लिए हर जिले में अलग अलग नियम है. कोई जिला एक साल तो कोई तीन साल के लिए मान्यता का नवीनीकरण करता है. एसोसिएशन ने माशिमं द्वारा ऑनलाइन एंट्री के लिए लिए गए अत्यधिक विलंब शुल्क को वापस करने अथवा समायोजित करने की भी मांग रखी है.