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छत्तीसगढ़ में चावल चोरी के शक में तालिबानी सजा; पेड़ से बांधकर बरसाए लात घूंसे

छत्तीसगढ़ में एक व्यक्ति को तालिबानी सजा देने का मामला सामने आया है. रायगढ़ जिले में रविवार सुबह चावल चोरी के शक में एक दलित व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. हत्या के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह भीड़ हत्या का मामला है. वहीं पुलिस ने कहा कि यह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अपराध की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है.

पेड़ से बांधकर पीटा

यह घटना रायगढ़ जिले के डुमरपल्ली गांव में रात करीब 2 बजे घटित हुई. पुलिस को दिए बयान के अनुसार, मामले के मुख्य संदिग्ध 50 साल के वीरेंद्र सिदार ने कहा कि वह शोर से जाग गया था और उसने पीड़ित पंचराम सारथी उर्फ ​​बुटू को अपने घर में घुसते और चावल की बोरी चुराने की कोशिश करते देखा. गुस्से में आकर उसने अपने पड़ोसियों 42 साल के अजय प्रधान और 44 वर्षीय अशोक प्रधान को बुलाया और तीनों ने मिलकर सारथी को एक पेड़ से बांध दिया.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गांव के सरपंच ने सुबह पुलिस को घटना की सूचना दी. सुबह 6 बजे जब पुलिस टीम वहां पहुंची तो उन्होंने सारथी को बेहोश पाया. उस वक्त भी वह पेड़ से बंधा हुआ था. पुलिस सूत्रों का दावा है कि उसे बांस की डंडियों से पीटा गया, लात-घूंसे मारे गए. गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों पर बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अब मामले में और लोगों की संलिप्तता की जांच कर रही है.

मॉब लिचिंग का केस दर्ज हो

दूसरी ओर, अब यह मामला विवादों में घिर गया है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस केस में भीड़ हत्या के प्रावधान को लागू करने की मांग की है. बीएनएस की धारा 103 (2) में भीड़ हत्या को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, ‘जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा.’

वकील और सामाजिक कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस पर हमला करने के पीछे क्या कारण था. क्या वे कानून अपने हाथ में ले सकते हैं? यह मॉब लिंचिंग का केस है.’ लेकिन जब संपर्क किया गया, तो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामला ‘बीएनएस की धारा 103 (2) में लिखे गए मानदंडों को पूरा नहीं करता है.’

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