केंद्र सरकार फर्जी सिम कार्ड के मामले में एक्शन के मूड में आ चुकी है. सरकार की ओर से इस मामले में टेलिकॉम कंपनियों जैसे जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल के पेंच कसने की शुरुआत हो चुकी है. साथ ही सरकार ने किसी दूसरे के नाम पर सिम कार्ड खरीदने वालों पर सख्ती कर दी है. सरकार की ओर से ऐसे यूजर्स की एक लिस्ट तैयार की जा रही है, जिसे अपराध के दायरे में रखा जाएगा. इसके बाद अगर कोई दूसरे के दस्तावेज पर सिम कार्ड खरीदता है, तो उसके सिम कार्ड को 6 माह से लेकर 3 साल तक ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा. साथ ही ऐसा करने वाले यूजर्स दोबारा कभी सिम कार्ड नहीं खरीद पाएंगे.
फ्रॉड दस्तावेज पर सिम कार्ड खरीदने वालों पर होगा एक्शन
रिपोर्ट की मानें, तो दूसरे के दस्तावेज पर सिम कार्ड खरीदने वालों को साइबर सिक्योरिटी के लिए खतरा माना जाएगा. दूससंचार विभाग की ओर से फ्रॉड सिम कार्ड खरीदने वालों की लिस्ट बनाने की शुरुआत कर दी गई है. साइबर सिक्योरिटी रूल्स के मुताबिक सरकार ने रिपोजिटरी ऑफ पर्सन बनाने का प्रस्ताव रखा है. सरकार की ओर से पहले व्यक्तियों को नोटिस जारी की जाएगी. इसके बाद व्यक्ति को मामले में 7 दिनों के अंदर जवाब देना होगा. सरकार की ओर से जनहित में बिना नोटिस के कार्रवाई करने का आदेश है. ऐसे में बिना पूर्व सूचना के आपके सिम कार्ड को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. बता दें कि नए टेलिकॉम एक्ट में साइबर सिक्योरिटी रूल्स को नोटिफाई कर दिया गया है. इसी साल नवंबर में नए नियम को जोड़ा गया गया है.
गृह मंत्रालय ने जारी किया अलर्ट नोटिफिकेशन
देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले में तेज ग्रोथ दर्ज की गई है. गृह मंत्रालय की डिजिटल अरेस्ट के मामले में एक्शन के मूड में आ चुका है. मंत्रालय ने आम लोगों को फ्रॉड से बचाने की सलाह दी है. साथ ही सरकार की ओर से मोबाइल कॉलर टोन की मदद से अलर्ट नोटिफिकेशन दिया जा रहा है, जिससे देश में लोगों को डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले से बचाया जा सके. दरअसल देश में कई लोग आपको सीबीआई या किसी अन्य सरकारी अधिकारी बनकर कॉल करते हैं. इसके बाद आपको किसी में मामले में फंसने और फिर उससे बचाने के बदले में मोटी रकम ले लेते हैं.
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