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आई ये बुरी खबर, ‘चाय’ की चुस्की होगी महंगी!

सुबह-सुबह अगर आप चाय की चुस्की लेना पसंद करते हैं तो यह खबर आपके लिए है. आने वाले दिनों में चाय पत्ति के दाम में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है. दरअसल चाय बागानों से चाय उत्पादन को लेकर बुरी खबर आई है. मौसम की अनियमित और बागानों के समय से पहले बंद होने के कारण इस साल के अंत तक चाय के कुल उत्पादन में 10 करोड़ किलोग्राम से अधिक की गिरावट आने की आशंका है. चाय उद्योग से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि 2023 के पहले 10 महीनों में करीब 117.8 करोड़ किलोग्राम उत्पादन की तुलना में देश में चालू कैलेंडर वर्ष की जनवरी-अक्टूबर अवधि में करीब 111.2 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ. हालांकि, निर्यात के 2024 में 24-25 करोड़ किलोग्राम तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष करीब 23.1 करोड़ किलोग्राम रहा था.

उत्पादन लगात में भी बढ़ोतरी

भारतीय चाय संघ के चेयरमैन हेमंत बांगड़ ने कहा कि 2024 में जनवरी-अक्टूबर की अवधि में उत्पादन में करीब 6.6 करोड़ किलोग्राम की कमी, जबकि नवंबर के बाद चाय के बागान बंद किए जाने से उत्पादन में 4.5 से पांच करोड़ किलोग्राम की और गिरावट आने की आशंका है. भारतीय चाय निर्यातक संघ के चेयरमैन अंशुमान कनोरिया ने कहा कि भू-राजनीतिक चुनौतियों तथा मुद्रा संबंधी मुद्दों के बावजूद भारत का चाय निर्यात अच्छा रहा तथा निर्यात में वृद्धि व्यापारियों की उच्च जोखिम क्षमता के कारण हुई. बांगड़ ने कहा कि इस साल चाय उद्योग का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा. फसल उत्पादन कम रहा जबकि प्रति किलोग्राम उत्पादन लागत बढ़ी. अधिकतर लागत पहले से तय थी और कीमत में स्थिति के अनुरूप कोई वृद्धि नहीं हुई. उद्योग 2023 में घाटे में था हालांकि अब स्थिति पिछले साल से बेहतर है लेकिन उद्योग मंदी से बाहर नहीं आया है.

बंगाल के चाय उत्पाद घाटे में रहेंगे

उन्होंने कहा, असम में उत्पादक कुछ मामूली लाभ कमा सकते हैं, लेकिन उत्तरी बंगाल में वे अब भी घाटे में रहेंगे. इस साल पिछले साल की तुलना में उत्पादन में 11-12 करोड़ किलोग्राम की गिरावट होगी. चाय अनुसंधान संघ (टीआरए) ने जलवायु परिवर्तन तथा मौसम की अनियमित स्थिति के फसल उत्पादन को प्रभावित करने का दावा करते हुए कहा कि उद्योग को मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाने, वर्षा जल संचयन के जरिये जलाशयों का निर्माण करने आदि की सलाह दी है. टीआरए सचिव जॉयदीप फूकन ने कहा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से भारतीय चाय तेजी से प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रही है. इस वर्ष कई चाय उत्पादक क्षेत्रों में तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तक रहा और काफी लंबे समय तक वर्षा की कमी रही, जिससे गुणवत्तापूर्ण फसल के महीनों में चाय उत्पादन औसतन 20 प्रतिशत प्रभावित हुआ.

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