अटल अखाड़े के साधु-संत और नागा संन्यासी भी बुधवार को महाकुम्भ मेला क्षेत्र में चले गए. मेला क्षेत्र में प्रवेश करने वाला यह तेरह में से चौथा अखाड़ा है. इससे पूर्व जूना, अग्नि और आहवान अखाड़े के साधु-संत दिसंबर में ही मेला क्षेत्र में जा चुके हैं. बुधवार को दिन में अखाड़े के पीठाधीश्वर विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में पेशवाई निकली, जिसमें अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अक्षरानंद गिरि, स्वामी विद्या गिरि के रथ भी शामिल रहे.
अखाड़े तीन फरवरी (बसंत पंचमी) को होने वाले तीसरे अमृत स्नान तक महाकुम्भ मेला क्षेत्र में ही डेरा जमाएंगे. बचे हुए नौ अखाड़ों की पेशवाई भी आगे होनी है, जो क्रमवार 12 जनवरी तक निकलेगी.
इस महाकुम्भ में गंगा और यमुना पर चलने वाला घर (फ्लोटिंग हाउस) भी देखने को मिलेगा. वाराणसी की एक कंपनी पीपीपी मॉडल पर इसे तैयार कर रही है. अलग-अलग आकार के प्लोटिंग हाउस 40 से लेकर 100 लोगों की क्षमता के बनाए जा रहे हैं.
फ्लोटिंग हाउस में स्नान के बाद कपड़े बदलने और चाय-नाश्ते की भी व्यवस्था की जाएगी. इस महाकुम्भ में यह प्रयोग पहली बार हो रहा है. कुम्भ और महाकुम्भ में खास तौर से संगम स्नान के लिए कई पर्यटक ऐसे भी आते हैं, जो भीड़ में जाना और लोगों के सामने कपड़ा बदलना नहीं चाहते हैं, इन्हीं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था की जा रही है.
महाकुम्भ नगर. संगम तट पर छह साल पूर्व लगे कुम्भ मेला का मुख्य आकर्षण टेंट सिटी थी तो 2025 के महाकुम्भ में डोम सिटी लोगों को लुभा रही है. टेंट सिटी अरैल में बनी थी 44 कमरों वाली डोम सिटी भी यहीं विकसित हो रही है. 51 करोड़ रुपये खर्च कर ढाई हेक्टेयर में तैयार की जा रही इस सिटी की खासियत यह है कि इसे जमीन से आठ मीटर की ऊंचाई पर पारदर्शी पॉली कार्बोनेट शीट से बनाया जा रहा है, दावा है कि इसमें रहने वालों को महाकुम्भ का 360 डिग्री व्यू मिलेगा.
अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इस सिटी के कमरे गोलाकार गुंबद की तरह दिखते हैं, जिसका एक दिन का किराया 81 से 91 हजार रुपये तक निर्धारित किया गया है, जो देश के कई नामचीन फाइव स्टार होटलों के एक दिन के किराए से अधिक है.
कुम्भ और महाकुम्भ के इतिहास में यह अब तक की सबसे महंगी सिटी बताई जा रही है. यूपी पर्यटन विभाग के सहयोग से निजी कंपनी इवो लाइफ स्पेस इसे विकसित कर रहा है. दावा किया जा रहा है कि देश-विदेश में सिर्फ पहाड़ों पर ही इस तरह के पारदर्शी कमरे बने हैं. कंपनी के अफसरों का कहना है कि यहां रहने वालों को बगैर लहसुन-प्याज का सात्विक भोजन मिलेगा.