क्या है महाकुंभ का महत्व, जानें क्या होता है कल्पवास
जिस समय देवगुरु गुरु वृषभ राशि में और ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में जाते हैं तो महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. भारत में इस बार महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. आपको बता दें कि महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है. एक लाख बार पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो पुष्य प्राप्त होता है, वो महाकुंभ में स्नान करने और कल्पवास करने पर मिल जाता है. कई पौराणिक कथाओं में महाकुंभ का वर्णन मिलता है.
क्या है कल्पवास
महाकुंभ में कल्पवास का भी विशेष महत्व है. जिसमें श्रद्धालु विशेष रूप से गंगा और यमुना के संगम तट पर एक माह तक वास करते हैं. यह व्रत माघ माह में आरंभ होता है, इसमें कुछ नियमों का पालन करना होता है और श्रद्धालुओं को अपनी इच्छाओं और इंद्रियों पर कड़ा नियंत्रण रखना होता है.
किन बातों का रखना चाहिए ध्यान
अगर आप भी कुंभ में स्नान करने जा रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. साधुसंतों की जगह पर स्नान न करें. साधु संतों के स्नान करने के बाद ही स्नान करें. महाकुंभ के दौरान कम से कम पांच बार डुबकी लगाकर ही स्नान करें. इससे महाकुंभ का फल मिलता है. अगर आप महाकुंभ जा रहे हैं, तो महाकुंभ में संगम घाट पर स्नान करने के बाद वहां से त्रिवेणी जल अवश्य घर लाना चाहिए. इसके अलावा संगम की मिट्टी को किसी मिट्टी के बर्तन में लाना चाहिए. इसे घर के मुख्य द्वार और पूजा की जगह रखना चाहिए.
महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तिथियां-
13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025- मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या
03 फरवरी 2025- बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025- माघी पूर्णिमा
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि