शेयर बाजार में जारी गिरावट के बीच निवेशकों के लिए एक और झटके वाली खबर हैं. ब्रोकरेज फर्म HSBC ने भारतीय शेयर बजार की रेटिंग को “ओवरवेट” से घटाकर न्यूट्रल कर दिया है. इतना ही उसने 2025 के लिए सेंसेक्स के टारगेट में भी एकमुश्त 5,000 अंकों की कटौती कर दी है. HSBC ने पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसे 2025 में सेंसेक्स के 90,520 के स्तर तक जाने की उम्मीद है. लेकिन अब नया साल को बीते कुछ ही दिन हुए हैं और HSBC ने बाजार में जारी गिरावट के बीच अपना यह टारगेट बदल दिया है. HSBC ने कहा कि अब उसे सेंसेक्स के इस साल सिर्फ 85,990 अंक तक ही पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि यह नया स्तर अभी भी सेंसेक्स में मौजूदा स्तर से 10% ऊपर है.
HSBC ने जहां सेंसेक्स के टारगेट में कटौती की है. वहीं इसने चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों को ‘ओवरवेट’ की रेटिंग दी है. दक्षिण कोरिया के शेयर बाजार की रेटिंग को भी इसने ‘अंडरवेट’ से बढ़ाकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया है.” इसका मतलब है कि HSBC को इस समय भारत से अधिक चीन और हांगकांग के शेयर बाजार में पैसा बनने की उम्मीद है.
HSBC ने अपने नोट में कहा है कि हाल के सालों में भारतीय बाजारों में 25% की सालाना ग्रोथ देखने को मिली थी, लेकिन अब मुनाफे में नरमी आई है, और वैल्यूएशन फॉरवर्ड अर्निंग के 23 गुना पर पहुंच गया है, जो बेहद ऊंचा है.
HSBC ने कहा है कि भारतीय बाजारों की मीडियम और लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी मजबूत है, लेकिन बढ़ती लागत और धीमी विकास दर के कारण शॉर्ट-टर्म में सीमित बढ़त की संभावना है, जिसके चलते उसने रेटिंग घटाने का फैसला किया है.
HSBC ने कहा कि अर्निंग ग्रोथ में सुस्ती के चलते उसने मौजूदा वित्त वर्ष 2025 के लिए निफ्टी 50 के ग्रोथ अनुमानों में भी कटौती की गई है. पहले ग्रोथ अनुमान 15 पर्सेंट था, जो अब घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया है. ब्रोकरेज ने कहा कि निवेशक अपनी पोजिशन का फिर से आकलन कर सकते हैं और उनका मार्केट रिटर्न इस साल सीमित रह सकता है.
इस बीच भारतीय शेयर बाजार में आज लगातार तीसरे दिन गिरावट जारी रही. निफ्टी ने 23,500 के अपने अहम सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया. आईटी शेयरों को छोड़कर बाकी सभी सेक्टोरल इंडेक्स में खूब बिकवाली हुई.
एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के सीईओ एंड्रयू हालैंड का कहना है कि इतनी गिरावट के बावजूद शेयर बाजार का वैल्यूएशन अभी बहुत आकर्षक नहीं हुआ है और अगर इनमें 3 से 5 फीसदी की और गिरावट आती है, तब इनका वैल्यूएशन ज्यादा आकर्षक हो जाएंगा.
हालैंड ने कहा कि बाजार अब ओवरसोल्ड टेरिटरी में पहुंच रहा है, खासकर बैंकिंग इंडेक्स में, जहां से उछाल देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि अर्निंग ग्रोथ के साथ जीडीपी ग्रोथ भी धीमी हुई, जिसने निवेशकों के सेंटीमेंट को कमजोर किया है. बाजार को सपोर्ट करने वाला कोई कारण, जैसे सरकारी खर्च में बढ़ोतरी, फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार खर्च बढ़ाना शुरू नहीं करती, तब तबक 2025-26 में कोई मल्टीप्लायर इफेक्ट नहीं दिखेगा. उनके मुताबिक भारतीय कंपनियों की अर्निंग प्रति शेयर (EPS) की औसत ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष में 5-10% के बीच रह सकती है.