महाकुम्भ का आज से शुभारंभ

सनातन गर्व के महापर्व का शुभारंभ सोमवार को होगा. पौष पूर्णिमा स्नान के साथ महाकुम्भ 2025 की शुरुआत होगी. पौष पूर्णिमा पर डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं के संगम में पुण्य की डुबकी लगाने का अनुमान है. इस स्नान के साथ एक माह का कठिन कल्पवास भी शुरू हो जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस महाकुम्भ में सभी स्नान पर्वों पर संतों और श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा करने की घोषणा की है. मंगलवार को मकर संक्रांति का स्नान होगा, इस दिन अखाड़ों का पहला अमृत (शाही) स्नान भी होगा. मकर संक्रांति पर ढाई करोड़ श्रद्धालुओं के त्रिवेणी में डुबकी लगाने का अनुमान है.
मेला प्रशासन ने पहले स्नान पर्व की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं. एक सप्ताह पहले से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. रविवार देर रात तक कल्पवासियों और श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहा. रविवार की सुबह से देर रात तक 50 लाख आस्थावानों के मेला क्षेत्र में आने का दावा किया जा रहा है. मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि पहले स्नान की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
पहले स्नान से पूर्व दो दिन में 85 लाख ने किया स्नान : महाकुम्भ के पहले पौष पूर्णिमा स्नान से पूर्व शनिवार और रविवार को भी संगम सहित गंगा के अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. मेला प्रशासन के मुताबिक शनिवार को 35 और रविवार को 50 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया है.
भोर से ही होगा पौष पूर्णिमा का स्नान, पूरे दिन शुभ मुहूर्त
पौष पूर्णिमा तिथि 12 जनवरी की रात में 4:32 बजे से आरंभ हो जाएगी, जो 13 जनवरी को पूरे दिन और रात 3.41 बजे तक रहेगी. ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि पौष पूर्णिमा का स्नान 13 जनवरी को सूर्योदय पूर्व 4:32 बजे के बाद से शुरू होकर रात में 3:41 बजे तक किया जा सकेगा. शुक्रवार रात तक 35 लाख श्रद्धालु पहुंच गए थे. सीएम ने जनमानस से अपील की कि मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाएं और फिर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत को समझने के लिए महाकुंभ जरूर जाएं.
महाकुंभ देश-दुनिया के लोगों के लिए यूपी और भारत को जानने का महत्वपूर्ण अवसर है. इस आयोजन में आध्यात्मिक विरासत को संतों के माध्यम से जानने, देखने का अद्भुत अनुभव भी मिलेगा.
– योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री
1:47 घंटे का पुण्यकाल
मंगलवार को मकर संक्रांति पर सुबह 9:03 से 10:50 बजे तक (1 घंटा 47 मिनट) का पुण्यकाल है. इस पर्व में कोई भद्रा नहीं है, इसलिए सुबह से शाम तक स्नान शुभ रहेगा.