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छात्र ने अंतरिक्ष में खोजा क्षुद्र ग्रह, NASA देगी नाम रखने का मौका

नोएडा के स्कूल में पढ़ने वाले दक्ष मलिक ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है. महज 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने एक एस्टेरॉयड (क्षुद्र ग्रह) की खोज की है. अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इसका परीक्षण करेगी और फिर दक्ष को इसका स्थायी नाम रखने का मौका देगी.

दक्ष मलिक नई दिल्ली के सैनिक फार्म्स में रहते हैं और नोएडा के सेक्टर-168 स्थित शिव नादर स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ाई करते हैं. दक्ष ने इंटरनेशनल एस्टेरॉयड डिस्कवरी प्रोजेक्ट (आईएडीपी) में हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को नासा का डाटाबेस और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ग्रह की खोज करने का मौका दिया जाता है. इसमें दक्ष मलिक समेत दुनियाभर से छह हजार से अधिक लोग शामिल हुए. दक्ष ने मंगल (मार्स) और बृहस्पति (जुपिटर) ग्रह के बीच मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट में एक एस्टेरॉयड का पता लगाया. उस समय उनकी उम्र 14 वर्ष थी. इस क्षुद्र ग्रह को अभी इसके खोज के वर्ष के आधार पर 2023ओजी40 के नाम से जाना जाता है. अब नासा दक्ष को इस एस्टेरॉयड का नाम रखने का अवसर देने वाली है.

यह होता है एस्टेरॉयड एस्टेरॉयड एक तरह की चट्टानें होती हैं, जो किसी ग्रह की तरह ही सूर्य के चक्कर लगाती हैं. हालांकि, इनका आकार काफी छोटा होता है. अंतिरक्ष में कई एस्टेरॉयड हैं, जो कभी-कभी पृथ्वी के करीब आ जाते हैं. इससे इनके धरती से टकराने का खतरा भी पैदा हो जाता है. वैज्ञानिक लगातार नए एस्टेरॉयड की खोज में लगे रहते हैं.

बचपन से ही अंतरिक्ष में रुचि

दक्ष मलिक की मां चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. उन्होंने बताया कि दक्ष को बचपन से ही ब्रह्मांड की रहस्यमयी दुनिया में विशेष रुचि थी. वह हमेशा ग्रह, तारों और अंतरिक्ष की बातें करता है. वह टीवी में भी नेशनल जियोग्राफिक जैसे चैनलों पर ग्रहों और सौर मंडल को लेकर बनी डॉक्यूमेंट्री देखता है. इसका नतीजा है कि आज दक्ष ने इस क्षुद्र ग्रह का पता लगाया. मां ने कहा कि दक्ष ने देश का नाम रोशन किया है. इससे वह और परिवार के अन्य लोग काफी खुश हैं.

इस तरह मौका मिला

दक्ष मलिक को यह मौका तब मिला, जब स्कूल के एस्ट्रोनॉमी (खगोल विज्ञान) क्लब ने वर्ष 2022 में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कॉलेबरेशन (आईएएससी) के बारे में एक ई-मेल भेजा. आईएएससी नासा से संबद्ध एक नागरिक कार्यक्रम है. इसमें दुनियाभर के लोगों, विशेष तौर पर छात्रों को क्षुद्र ग्रह तलाशने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसके तहत हुए आईएडीपी प्रोजेक्ट में दक्ष और उसके स्कूल के कुछ अन्य छात्रों ने इसमें हिस्सा लिया. इसी दौरान दक्ष ने यह उपलब्धि दर्ज की.

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