
बीते साल 27 सितंबर को दोनों सूचकांक अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे थे. सेंसेक्स ने 85,978.25 अंक और निफ्टी ने 26,277.35 अंक का शिखर छुआ था. इस अवधि में सेंसेक्स जहां 17.45 फीसदी टूट चुका है, वहीं निफ्टी में 18.70 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
इस अवधि के दौरान पांच महीनों में निवेशकों को 95 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. शुक्रवार को निवेशकों की संपत्ति में करीब 8.82 लाख करोड़ की गिरावट आई है.
सबसे लंबी गिरावट निफ्टी में 29 साल बाद ऐसा हुआ है, जब यह सूचकांक लगातार पांच महीने से पिछले महीने की तुलना में निचले स्तर पर बंद हुआ है. शीर्ष से निफ्टी 4,152.65 अंक टूट चुका है. निफ्टी 22,500 के अहम स्तर से नीचे चला गया है.
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 11,639.02 करोड़ रुपये की बिकवाली की.
सरकारी क्षेत्र निशाने पर
सरकारी कंपनियों में जोरदार बिकवाली ने निवेशकों की तिजोरी खाली कर दी है. बीते सात महीनों में 25 लाख करोड़ की बाजार पूंजी का नुकसान इस क्षेत्र को हुआ है. निफ्टी पीएसई इंडेक्स अगस्त 2024 से अब तक 32 गिर चुका है. इतनी बड़ी गिरावट ने ये साफ कर दिया है कि इस बार बाजार की बिकवाली में कोई भी क्षेत्र नहीं बच पाया है.
गिरावट के कारण
1. व्यापार युद्ध भड़कने की आशंका, एशियाई बाजारों में कमजोरी
2. एआई की वृद्धि दर पर संदेह, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी
3. म्यूचुअल फंड के मुनाफे में जोरदार कमी
4. छोटे निवेशकों का एसआईपी रोकना, रुपये में तेज गिरावट
5. विदेशी निवेशकों की तेज बिकवाली
क्यों टूटा बाजार
ट्रंप ने चार मार्च से मैक्सिको, कनाडा और चीन पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है. इसके बाद एनवीडिया के शेयरों में 8.5 की गिरावट आई जिससे दुनियाभर के बाजारों में गिरावट पैदा हो गई.
इतिहास की चौथी सबसे बड़ी गिरावट
शेयर बाजार इतिहास की चौथी सबसे बड़ी गिरावट के दौर में है. सबसे बड़ी गिरावट में 2008 में 52 की गिरावट आई थी. वहीं, 1994-95 में 31.4 फीसदी की गिरावट आई थी. वर्ष 1996 में 26 की गिरावट दर्ज हुई थी. फिलहाल बाजार के बड़े इंडेक्स 18 से 20 तक टूट चुके हैं. कोविड के दौरान बाजार में 13-14 की गिरावट आई थी.