विक्रम संवत 2082: नवरात्रि के साथ शुरू होगा कालयुक्त संवत्सर, जानें कैसा रहेगा नववर्ष

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष का शुभारंभ 30 मार्च को नवरात्र के साथ होगा. कालयुक्त नामक संवत्सर (2082) में राजा और मंत्री का पद ग्रहों के राजा सूर्यदेव के पास रहेगा. यह नवसंवत्सर रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, उग्रता व राजतंत्र के प्रभाव को बढ़ाने वाला होगा. इस वर्ष अत्यधिक गर्मी से पशु, पेड़-पौधे प्रभावित होंगे तो नई बीमारी और दैवीय आपदाओं में वृद्धि और भूस्खलन की भी आशंका बनी रहेंगी.
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि पिंगल नामक संवत्सर (2081) 29 मार्च को शाम 4:33 बजे समाप्त हो जाएगा. उदया तिथि की वजह से 30 मार्च से नव संवत्सर शुरू होगा. इसके साथ ही आठ दिनों का नवरात्र भी प्रारंभ हो जाएगा.
उन्होंने बताया कि प्रतिपदा को जो दिन या वार पड़ता है, वही उस संवत्सर का राजा होता है और सूर्य की मेष संक्रांति जिस दिन होती है, उस दिन से संवत्सर के मंत्री पद का निर्धारण होता है. यह नवसंवत्सर उपद्रव से युक्त व नकारात्मक फलदायक होगा. स्वामी नरोत्तमानंद गिरि वेद विद्यालय परमानंद आश्रम, झूंसी के वेदाचार्य ब्रज मोहन पांडेय ने बताया कि इस संवत्सर का शुभारंभ सिंह लग्न में होगा.
गजकेसरी योग व अमृत सिद्धि योग का अद्वितीय संयोग सभी के लिए लाभकारी सिद्ध होगा. इस दिन शाम 6:14 बजे तक रेवती नक्षत्र फिर अश्विनी नक्षत्र विद्यमान रहेगा. उसके बाद मेष लग्न का आरंभ होगा. मीन राशि में नवसंवत्सर पर पांच ग्रह के मौजूद होने से पंचग्रहीय योग बनेगा.