धर्म एवं साहित्य

Chaitra Navratri 2025 1st Day Puja : नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें भोग, आरती, और व्रत कथा

Chaitra Navratri 2025 1st Day Puja : आज से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। चैत्र नवरात्रि के 9 दिनो तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरुप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन घटस्थापना के बाद मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। माता पार्वती को मां शैलपुत्री कहा जाता है। उनका वाहन वृषभ है इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विधि विधान से मां शैलपुत्री का पूजा अर्चना करता है आसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में जो कष्ट हैं उनसे भी छुटकारा मिलता है। तो आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा कैसा करें उन्हें क्या भोग लगाएं और कथा…

कैसा है मां शैलपुत्री का स्वरुप

नवरात्रि के पहले दिन पूजा जाने वाली देवी मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, सरल, सुशील और दया से पूर्ण है। मां का रूप दिव्य और आकर्षक है। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभायमान है, जो उनके अद्भुत और शक्ति से भरे स्वरूप का प्रतीक है। मां की सवाली वृषभ है । मां शैलपुत्री का तपस्वी रूप बहुत ही प्रेरणादायक है, उन्होंने घोर तपस्या की है और समस्त जीवों की रक्षिका हैं। नवरात्रि के पहले दिन का व्रत और पूजा विशेष रूप से कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है। विपत्ति के समय में मां शैलपुत्री अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। मां शैलपुत्री साधक के मूलाधार चक्र को जागृत करने में भी सहायक होती हैं। मूलाधार चक्र हमारे शरीर का वह ऊर्जा केंद्र है, जो हमें स्थिरता, सुरक्षा और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस चक्र के जागरण से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का प्रवाह होता है।

मां शैलपुत्री पूजा विधि

मां शैलपुत्री की पूजा विधि देवी भागवत पुराण में विस्तार से दी गई है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि इस प्रकार है:

सुबह जल्दी उठें:

नवरात्रि के पहले दिन पूजा का आरंभ ब्रह्म मुहूर्त में करें। इस समय वातावरण शुद्ध और आध्यात्मिक होता है।

स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनें:

पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ कपड़े पहनें।

मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें:

एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें और फिर उस पर मां शैलपुत्री की मूर्ति, तस्वीर या फोटो स्थापित करें।

कलश स्थापना:

पूरे परिवार के साथ विधिपूर्वक कलश की स्थापना करें। यह कार्य नवरात्रि पूजा का प्रमुख हिस्सा होता है।

ध्यान और मंत्र जप:

कलश स्थापना के बाद, मां शैलपुत्री का ध्यान मंत्र ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः, वंदे वाञ्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्, वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्, या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः जप करें। साथ ही, नवरात्रि व्रत का संकल्प लें।

षोड्शोपचार पूजा विधि:

मां शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि से करें। इसमें सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है।

माता को फूल और कुमकुम अर्पित करें:

सफेद, पीले या लाल फूल मां शैलपुत्री को अर्पित करें। साथ ही, कुमकुम का तिलक भी करें।

धूप और दीप जलाएं:

मां के समक्ष धूप और दीपक जलाएं। साथ ही, पांच देसी घी के दीपक भी जलाएं ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

आरती करें:

  • इसके बाद मां शैलपुत्री की आरती उतारें। मां की आरती करने से व्यक्ति को उनकी कृपा प्राप्त होती है।
  • माता की कथा, दुर्गा चालिसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ:
  • पूजा के बाद, मां शैलपुत्री की कथा, दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे मां की आशीर्वाद प्राप्ति होती है।
  • जयकारे लगाएं:
  • परिवार के साथ “जय माता दी” के जयकारे लगाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • भोग अर्पित करें:
  • अंत में, मां शैलपुत्री को भोग अर्पित करें।
  • शाम की पूजा:
  • शाम के समय भी पूजा करें। इस समय भी मां की आरती उतारें और मंत्र जप करके ध्यान लगाएं।

मां शैलपुत्री का भोग

मां शैलपुत्री की पूजा में विशेष रूप से सफेद रंग का महत्व है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए सफेद रंग की सामग्री का अर्पण करना आवश्यक होता है। मां शैलपुत्री को सफेद रंग के फूल अर्पित करें। पूजा में मां को सफेद मिठाई, जैसे खीर, खाजा, या सफेद लड्डू अर्पित करें। सफेद रंग की अन्य सामग्री जैसे दूध और दही भी अर्पण कर सकते हैं

मां शैलपुत्री की पूजा से लाभ:

•             माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।

•             घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और समृद्धि का वास होता है।

•             इसके अलावा, यह पूजा घर में सुख-शांति, प्रेम और समृद्धि लाती है।

•             श्रद्धापूर्वक पूजा करने से परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री का मंत्र

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥

पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।

कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

मां शैलपुत्री व्रत कथा

देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया, जिसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया, सिवाय अपनी बेटी सती और उनके पति भगवान शिव के।

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