
कश्मीर में पर्यटकों पर हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद शेयर बाजार निवेशकों के सेंटीमेंट में काफी बदलाव देखने को मिला है. निवेशक अब काफी सतर्क हो गए हैं. शेयर बाजार लगातार दूसरे गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. पाकिस्तान के साथ जियो पॉलिटिकल टेंशन की वजह से सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट देखने को मिल रही है. इस खूनी खेल की वजह से शेयर बाजार निवेशकों के कुछ ही घंटों में करीब 11 लाख करोड़ रुपए डूब गए हैं. जानकारों की मानें तो पाकिस्तान ने भी कुछ कदम उठाने का ऐलान किया है. जिसमें सबसे बड़ा फैसला भारत को पाकिस्तान के ऊपर से एयर स्पेस ना देना है. जिसके बाद एयरलाइंस पर समय और कॉस्ट दोनों का दबाव बढ़ गया है. अब अमेरिका और यूरोप जाने के लिए भारत को 2 से 2.5 घंटे अतिरिक्त समय लगेगा. साथ ही आम लोगों को यहां जाने के लिए 8 से 12 फीसदी अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ेगा.
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट
अगर बात शेयर बाजार के आंकड़ों को देखें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर भले ही 855 अंकों की गिरावट के साथ 78,961.57 अकों पर कारोबार कर रहा हो, लेकिन कारोबारी सत्र में सेंसेक्स में करीब 1200 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी और सेंसेक्स 78,605.81 अंकों के दिन के लोअर लेवल पर पहुंच गया था. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी 278.40 अंकों की गिरावट के साथ 23,968.30 अंकों पर कारोबार कर रहा था, लेकिन कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी 400 अंकों तक गिरा था और 23,847.85 अंकों के साथ दिन के लोअर लेवल पर पहुंच गया. शेयर बाजार में इस गिरावट की वजह से बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप करीब 11 लाख करोड़ रुपए कम होकर 4,18,89,473.57 करोड़ रुपए रह गया.
क्या कह रहे हैं जानकार
जबकि भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की हालिया नीतियों का उद्देश्य जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा देना है, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार मुद्दे अल्पकालिक लाभ को सीमित कर रहे हैं. मौसमी रूप से मजबूत तिमाही के बावजूद, चौथी तिमाही की इनकम की उम्मीदें मामूली हैं, जिसमें आम सहमति EPS ग्रोथ सालाना आधार पर 8 फीसदी देखने को मिल रही हैत्र. मीडिया रिपोर्ट में इनक्रेड इक्विटीज ने कहा है कि भारत सरकार और आरबीआई की पहल जीडीपी ग्रोथ को फिर से बढ़ाने में फोकस है, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार संरक्षणवाद और क्षेत्र-विशेष मंदी के कारण अल्पकालिक लाभ सीमित होने की संभावना है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण कौन से हैं.
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
इस सप्ताह की शुरुआत में 26 नागरिकों की जान लेने वाले घातक पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच बाजार की धारणा जोखिम से बचने वाली हो गई. विश्लेषकों ने कहा कि भारत द्वारा राजनयिक संबंधों को कम करने और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले से निवेशकों का भरोसा और कम हो सकता है. एचडीएफसी सिक्योरिटीज में प्राइम रिसर्च के प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के संकेत मिलने के कारण धारणा सतर्क बनी हुई है.
तेज उछाल के बाद वैल्यूएशन को लेकर चिंता
भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण गुरुवार को तेजी रुकने से पहले निफ्टी ने लगातार सात सत्रों में लगभग 8.6% की बढ़त हासिल की थी. हालांकि इंडेक्स अभी भी सप्ताह के लिए लगभग 1.7 फीसदी ऊपर है, लेकिन तेज उछाल ने वैल्यूएशन को लेकर चिंता पैदा कर दी हैं. जिससे निवेशकों को मुनाफ़ा बुक करने और अधिक सतर्क रुख अपनाने के लिए प्रेरित किया है.
फाइनेंशियल शेयरों में तेज गिरावट
एक्सिस बैंक, एसबीआई और बजाज फाइनेंस आज सेंसेक्स में गिरावट में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. कोटक बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित अन्य बैंकिंग स्टॉक भी लाल निशान में कारोबार कर रहे थे. इन शेयरों ने कुल मिलाकर सेंसेक्स में 360 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की. मार्च तिमाही के मुनाफे में मामूली गिरावट दर्ज करने के बाद एक्सिस बैंक सेंसेक्स पैक में सबसे अधिक पिछड़ा रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 7,130 करोड़एरुपये से घटकर 7,117 करोड़ रुपए रह गया.
सुस्त इनकम सीजन
चालू इनकम सीजन सुस्त देखने को मिल रहा है. कई कंपनियों ने उम्मीद से कम आय की रिपोर्ट की है, जिससे बाजार के सतर्क रुख में और योगदान मिला है. हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने 2 फीसदी रेवेन्यू ग्रोथ हासिल की है, लेकिन शहरी मांग कम होने के कारण लाभ की उम्मीदों से चूक गया. इसी तरह, एक्सिस बैंक के Q4 FY25 के शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 0.2 फीसदी की मामूली गिरावट देखी गई, जिसका कारण सुस्त व्यावसायिक वृद्धि और कम राजकोष लाभ था. आईटी क्षेत्र को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इंफोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों के रेवेन्यू में गिरावट देखने को मिली है. जिसकी वजह से वित्त वर्ष 2026 औरर 2027 में इनकम में कमजोरी की संभावना जताई गई है.
टेक्नीकल इंडिकेटर्स
लगातार सात दिनों तक लगातार तेजी के बाद, निफ्टी बुल्स ने गुरुवार को थकान के संकेत दिखाने शुरू कर दिए, जो अप्रैल महीने की मासिक समाप्ति भी थी. तकनीकी विश्लेषकों का कहना है कि ओवरबॉट स्थितियों के बीच सुधार होना चाहिए था. पिछले सत्र में एक छोटी मंदी की स्थिति बनी थी. सैमको सिक्योरिटीज के डेरिवेटिव्स रिसर्च एनालिस्ट धुपेश धमेजा ने कहा कि पहले से ही एक तेज रैली के साथ, इंडेक्स अब समय-वार करेक्शन फेज में एंट्री करता हुआ दिखाई दे रहा है.