
छत्तीसगढ़ में अगले तीन दिनों तक मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है. मौसम विभाग ने प्रदेश के कई इलाकों में गरज-चमक के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है. यह मौसम परिवर्तन पश्चिमी विक्षोभ और विभिन्न चक्रवाती परिसंचरणों के प्रभाव के कारण होने की संभावना है.
मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक प्रदेश के एक या दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने और ओलावृष्टि होने की संभावना जताई है.
राजधानी रायपुर में भी शनिवार को कुछ स्थानों पर गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है. शुक्रवार को प्रदेश में सबसे अधिकतम तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस रायपुर में दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस पेंड्रा-रोड रहा. बारिश और गरज-चमक की संभावना के चलते आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट आ सकती है.
इन जिलों में जारी हुआ अलर्ट:
मौसम विभाग के अनुसार, छत्तीसगढ़ के सुकमा, बीजापुर, दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, बालोद, राजनांदगांव, महासमुंद, रायपुर, बलौदा बाजार, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, दुर्ग, बेमेतरा, कबीरधाम, मुंगेली, सुरगुजा, सूरजपुर, कोरिया और बलरामपुर के कुछ स्थानों में तेज आंधी (50-60 KMPH की स्पीड से) और गरज-चमक के साथ बारिश होने और ओले गिरने की भी संभावना है.
वहीं धमतरी और गरियाबंद जिलों में भी 30-40 KMPH की स्पीड से हवा चलने के साथ गरज-चमक और बारिश की संभावना है.
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से बदला प्रदेश का मौसम
बता दें, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और विभिन्न द्रोणिकाओं के असर से बीते 3-4 दिनों से छत्तीसगढ़ में मौसम का मिजाज भी बदला हुआ है. इन दिनों लगातार प्रदेश के कई हिस्सों में तेज आंधी और गरज-चमक के साथ बारिश हुई और कुछ जगहों पर ओले भी पड़े हैं. आज सुबह से मौसम साफ रहने के बाद अचानक फिर से 80KM प्रतिघंटे की स्पीड से आंधी और बारिश की संभावना है. अगले 3 दिनों तक अंधड़, बारिश और ओलावृष्टि होने की संभावना बनी रहेगी.
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा के मुताबिक, एक पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण पंजाब और उत्तर राजस्थान के साथ पश्चिम हरियाणा के ऊपर ऊपरी हवा के चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण के रूप में फैसला हुआ है. एक उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली द्रोणिका पंजाब से शुरू होकर हरियाणा, राजस्थान, उत्तर-पश्चिम मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा और अंदरूनी कर्नाटक होते हुए उत्तर केरल तक लगभग 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक विस्तारित है. इसी प्रकार, एक पूर्व-पश्चिम दिशा की द्रोणिका उत्तर-पूर्व राजस्थान से शुरू होकर उत्तर मध्य प्रदेश, उत्तर छत्तीसगढ़, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक फैली हुई है, जो लगभग 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक विस्तारित है.