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सरकार ने इलेक्ट्रिक स्कूटर और कार के लिए बदले चार्जिंग नियम, अब रात में EV चार्ज की तो 30% ज्यादा खर्चा

अगर आप इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) चलाते हैं और सोचते हैं कि रात में चार्ज करना ज्यादा सुविधाजनक है, तो अब यह आदत आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है. केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने EV चार्जिंग को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है. अब रात के समय चार्ज करने पर आपको 30% ज्यादा पैसा देना होगा. आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स समझते हैं.

दिन में चार्ज करो, सस्ता भरो!

नए नियम के मुताबिक अब EV चार्जिंग को दो टाइम जोन (Time of Day – ToD) में बांटा गया है.

सोलर पीरियड (9 AM से 4 PM):

इस दौरान अगर आप अपनी EV को चार्ज करते हैं, तो आपको 30% कम टैरिफ देना होगा. यानी अगर पहले चार्जिंग में 100 लगते थे, अब सिर्फ 70 लगेंगे.

नॉन-सोलर पीरियड (4 PM से 9 AM):

इस समय चार्जिंग करने पर 30% ज्यादा टैरिफ लगेगा. यानी वही चार्जिंग अब 130 की पड़ेगी.

कहां लागू होगा यह नियम?

ये नए टैरिफ सिर्फ पब्लिक EV चार्जिंग स्टेशनों पर लागू होंगे. घर पर चार्ज करने वालों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. यह नियम फिलहाल केरल राज्य में लागू किया गया है, लेकिन आने वाले समय में दूसरे राज्यों में भी लागू हो सकता है.

चार्जिंग कंपनियों के लिए भी बड़ी चुनौती

जो चार्जिंग स्टेशन सोलर पावर का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अब एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. अगर वे दिन में सौर ऊर्जा का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते, तो उन्हें नुकसान हो सकता है, क्योंकि शाम के समय उपयोग की गई बिजली का क्रेडिट उन्हें पूरा नहीं मिलेगा.

EV मालिकों के लिए क्या मतलब है इसका?

अब EV मालिकों को सिर्फ यह नहीं सोचना कि कार को कब और कितनी दूर चलाना है, बल्कि ये भी तय करना होगा कि कब चार्ज करना है. स्मार्ट प्लानिंग करने से आप चार्जिंग पर अच्छे पैसे बचा सकते हैं. दिन में चार्ज करना सस्ता है, लेकिन सुविधा के लिए कई लोग रात में चार्ज करते हैं, अब उन्हें अपनी आदत बदलनी होगी.

नया नियम: फायदेमंद या सिरदर्द?

जो लोग दिन में चार्ज कर सकते हैं, उनके लिए यह फायदेमंद सौदा है. लेकिन जो लोग ऑफिस या ट्रिप्स से लौटने के बाद ही चार्ज कर पाते हैं, उन्हें अब ज्यादा खर्च उठाना पड़ेगा. इसका मतलब है कि अब EV चार्जिंग सिर्फ तकनीक नहीं, टाइमिंग का भी खेल होगा. इससे पता चलता है कि सरकार की मंशा ग्रीन एनर्जी को प्रमोट करना और ग्रिड पर बोझ कम करना है.

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