
पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI भारत के खिलाफ साजिशें रचने से नहीं चूकती, भले ही उसे कई बार असफलता का सामना करना पड़ा हो. हाल ही में, देश की खुफिया एजेंसियों ने एक गुप्त ऑपरेशन के तहत एक बड़े जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआई ने दिल्ली में एक बड़े आतंकी हमले की योजना बनाई थी और इसके लिए उसने दो एजेंटों को नियुक्त किया था, जिनमें से एक अंसारुल मियां अंसारी नाम का पाकिस्तानी एजेंट था. उसे भारतीय सशस्त्र बलों से संबंधित संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करने का कार्य सौंपा गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के कुछ कर्मचारियों पर संदेह जताया जा रहा है. जांच में यह भी सामने आया है कि ISI के अधिकारी मुजम्मिल और एहसान-उर-रहीम, जिन्हें दानिश के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय YouTubers और इन्फ्लुएंसर्स को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहे थे, और वे इस साजिश में शामिल हो सकते हैं.
ऐसे बनाई ISI ने प्लानिंग
यह ऑपरेशन जनवरी में बिना किसी स्पष्ट सूचना के आरंभ हुआ. इस दौरान, ISI ने गोपनीय दस्तावेज, तस्वीरें और गूगल कोऑर्डिनेट्स इकट्ठा करने के लिए एक जासूस को भेजा, जो नेपाल के रास्ते दिल्ली पहुंचने वाला था. इसके बाद, जांचकर्ताओं ने इस सूचना को और विकसित किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि दिल्ली में एक हमले की योजना बनाई जा रही थी, जिसमें सशस्त्र बलों की विस्तृत जानकारी का उपयोग किया जाना था.
इतने बड़े जोखिम के बावजूद, खुफिया अधिकारियों को फरवरी के मध्य तक महत्वपूर्ण प्रगति के लिए इंतजार करना पड़ा. सूत्रों के अनुसार, ISI का एक एजेंट दिल्ली पहुंच चुका था और उसने गोपनीय सैन्य दस्तावेजों को इकट्ठा कर लिया था. एक जाल बिछाया गया, और 15 फरवरी को अंसारी को संवेदनशील दस्तावेजों के साथ मध्य दिल्ली में पकड़ा गया, जब वह नेपाल के रास्ते पाकिस्तान लौट रहा था.
भारत के खुफिया विभाग के लोगों ने ऐसे बनाई प्लानिंग
सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन जासूसी कौशल का एक बेहतरीन उदाहरण था, जिसमें एजेंसी के अधिकारी हर कदम पर जासूसों से आगे रहे. जानकारी के अनुसार, एजेंसी के लोग भारत के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय पाक-समर्थित आतंकवादी संगठनों और उन्हें लॉजिस्टिक सहायता देने वाली स्लीपर सेल के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे थे. पंजाब में ISI-समर्थित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) द्वारा किए गए ग्रेनेड हमलों के बाद, एजेंसी को उत्तर-पश्चिमी भारत में सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने की एक बड़ी साजिश का संदेह हुआ.
दिल्ली-एनसीआर में संभावित आतंकी हमलों को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए हैं. संबंधित स्रोतों को सक्रिय किया गया, जिससे एक संदिग्ध की यात्रा योजनाओं की जानकारी प्राप्त हुई. अंसारी को बाद में पुलिस के हवाले कर दिया गया, जिसे भारतीय सशस्त्र बलों से जुड़े गोपनीय दस्तावेज रखने और उन्हें अपने पाकिस्तानी आकाओं को देने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इस मामले में राजकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई है.
जांच में रांची के निवासी अखलाक आजम की संलिप्तता का पता चला है, जो भारत में अंसारुल को लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान कर रहा था. सूत्रों के अनुसार, आजम और उसके पाकिस्तानी आकाओं के बीच लगातार संपर्क था, जिसमें संदेह और साजिश की बातें शामिल थीं. मार्च में आजम को गिरफ्तार किया गया, और उसके मोबाइल उपकरणों के विश्लेषण से गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच संदिग्ध बातचीत का खुलासा हुआ, जो एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है. हाल ही में, दो संदिग्धों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की गई है, जबकि इस साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों की पहचान के लिए जांच जारी है.
अंसारी कौन था, यह जानने पर उसकी पृष्ठभूमि में धोखे और कट्टरता का एक जटिल ताना-बाना सामने आया. पूछताछ के दौरान, उसने बताया कि वह नेपाल का मूल निवासी है, लेकिन 2008 से कतर में टैक्सी चालक के रूप में काम कर रहा था. वहीं, उसे एक ISI एजेंट ने भर्ती किया, जहां पैसे के लालच के साथ-साथ उसे ‘बड़े मकसद’ के लिए ब्रेनवॉश किया गया. इसके बाद, उसे पाकिस्तान जाने और रावलपिंडी में अपने हैंडलर से मिलने का निर्देश दिया गया.
एक रिपोर्ट के अनुसार, अदालत में प्रस्तुत किया गया है कि जून 2024 में, अंसारी ने एक महीने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया. इस दौरान उसे पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों से मिलवाया गया और भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस तथा CAA/NRC के कार्यान्वयन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा कर उसे कट्टरपंथी बनाया गया. इसके अलावा, अंसारी को जासूसी के लिए प्रशिक्षित किया गया और उसे दिल्ली से गुप्त दस्तावेज़ प्राप्त करने का कार्य सौंपा गया.
अदालत द्वारा चार्जशीट का संज्ञान लेने के बाद, मुकदमा शीघ्र ही प्रारंभ होने वाला है. गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा विंग में रखे गए हैं, जहां उन पर विशेष निगरानी रखी जा रही है ताकि वे अन्य कैदियों को प्रभावित करने का प्रयास न कर सकें. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियां उच्च सतर्कता पर हैं. यह एक बिल्ली-और-चूहे का खेल हो सकता है, लेकिन भारत की सुरक्षा एजेंसियां स्थिति को अपने नियंत्रण में रखना चाहती हैं.