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बद्रीनाथ धाम में कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?

बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु बद्रीनाथ के रूप में पूजे जाते हैं. यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. यहां शालिग्राम पत्थर की स्वयंभू मूर्ति है, जो भगवान बद्रीनाथ जी की है. बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वतों के बीच स्थित है. बद्रीनाथ धाम में मुख्य रूप से भगवान विष्णु को तुलसी दल (तुलसी के पत्ते) और ब्रह्मकमल के फूल चढ़ाए जाते हैं.

तुलसी दल (तुलसी के पत्ते): बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्री विशाल की पूजा में तुलसी दल का अत्यधिक महत्व है. मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ फूलों से नहीं, बल्कि तुलसी से प्रसन्न होते हैं. बिना तुलसी के भगवान बद्रीनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने धर्मध्वज की पुत्री बिंद्रा को वचन दिया था कि वह कलियुग में उसे तुलसी के रूप में स्वीकार करेंगे. बद्रीनाथ क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की तुलसी पाई जाती है, जिसे बद्री तुलसी कहा जाता है, जो माता लक्ष्मी का ही एक रूप मानी जाती है. इसी बद्री तुलसी का प्रयोग भगवान बद्रीनाथ की पूजा में किया जाता है.

ब्रह्मकमल: ब्रह्मकमल एक दुर्लभ और नाजुक फूल है जो हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगता है. इसे हिंदू धर्म में एक पवित्र फूल माना जाता है और अक्सर इसे भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों से जोड़ा जाता है.

बद्रीनाथ मंदिर सहित केदारनाथ में भी ब्रह्मकमल को प्रतिमाओं पर चढ़ाया जाता है. यह भगवान विष्णु की दिव्य कृपा का प्रतीक माना जाता है. इसलिए बद्रीनाथ धाम के साथ केदारनाथ धाम में ब्रह्मकमल चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है.

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